अमेरिका में उद्योगपति गौतम अडानी और उनके भतीजे सागर अडानी पर रिश्वतखोरी और निवेशकों को भ्रमित करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। इन मामलों से राहत पाने के लिए अडानी समूह ने अमेरिकी प्रशासन से बातचीत तेज कर दी है। ब्लूमबर्ग न्यूज की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अडानी ग्रुप के प्रतिनिधियों ने अमेरिका में ट्रंप प्रशासन से जुड़े अधिकारियों से मुलाकात की है।
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक का उद्देश्य अमेरिकी अधिकारियों को इस बात के लिए राज़ी करना है कि अडानी पर लगे आरोप राजनीति से प्रेरित हैं और इन्हें खत्म किया जाना चाहिए। बातचीत की प्रक्रिया साल की शुरुआत में शुरू हुई थी, लेकिन हालिया हफ्तों में इसमें तेज़ी आई है। उम्मीद की जा रही है कि अगले कुछ हफ्तों में कोई समाधान सामने आ सकता है।
नवंबर 2024 में लगे थे आरोप
पिछले साल नवंबर में अमेरिकी एजेंसियों ने गौतम अडानी और सागर अडानी पर आरोप लगाए थे कि उन्होंने भारत में बिजली परियोजनाओं के ठेके हासिल करने के लिए करोड़ों रुपये की रिश्वत दी थी। साथ ही अमेरिकी निवेशकों को कंपनी की भ्रष्टाचार-रोधी नीतियों को लेकर गुमराह किया गया था।
SEC की कार्रवाई
अमेरिकी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने अडानी ग्रीन एनर्जी के $750 मिलियन के बॉन्ड ऑफर में भ्रांतिपूर्ण एंटी-ब्राइबरी जानकारी देने का आरोप लगाया है। इसके तहत गौतम अडानी और सागर अडानी को समन भेजा गया और भारत के कानून मंत्रालय से सहयोग की मांग की गई।
- अडानी समूह की सफाई
इन सभी आरोपों को अडानी ग्रुप पहले ही खारिज कर चुका है। समूह ने अपने बयान में कहा कि ये सभी आरोप बेबुनियाद हैं और वे कानूनी तरीके से इनका जवाब देंगे।
रिश्वत की राशि और प्रोजेक्ट्स
SEC के अनुसार, अडानी और उनके सहयोगियों ने 2020 से 2024 के बीच भारतीय अधिकारियों को लगभग ₹2,200 करोड़ (लगभग $265 मिलियन) की रिश्वत दी। इसका उद्देश्य सोलर पावर प्रोजेक्ट्स के लाभकारी अनुबंध हासिल करना था, जिनसे आने वाले दो दशकों में समूह को ₹16,000 करोड़ (लगभग $2 बिलियन) का मुनाफा होने की संभावना थी।