नई दिल्ली। टाटा ग्रुप की प्रमुख कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) 2008 की मंदी के बाद अपने सबसे कठिन दौर से गुजर रही है। कंपनी का मार्केट कैपिटलाइजेशन 16.57 लाख करोड़ रुपये से घटकर 10.93 लाख करोड़ रुपये पर आ गया है। यानी, इस साल अब तक कंपनी की वैल्यू में करीब 5.66 लाख करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की गई है। 2025 में अब तक इसके शेयर लगभग 26% टूट चुके हैं।
आईटी सेक्टर पर विदेशी निवेशकों की लगातार बिकवाली का दबाव है। फॉरेन इन्वेस्टर्स ने जून 2024 में टीसीएस में अपनी हिस्सेदारी 12.35% से घटाकर जून 2025 में 11.48% कर दी। यही वजह रही कि कंपनी के शेयरों में इस साल 25% से अधिक की गिरावट आई। इसी कारण निफ्टी आईटी इंडेक्स भी अब तक 25% गिर चुका है और यह बाजार का सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला सेक्टर बन गया है। अकेले आईटी स्टॉक्स से ही एफआईआई ने 95,600 करोड़ रुपये में से आधे से ज्यादा पूंजी बाहर निकाली है।
म्यूचुअल फंडों ने दिखाई दिलचस्पी
हालांकि विदेशी निवेशकों के विपरीत, घरेलू संस्थागत निवेशकों और म्यूचुअल फंडों ने टीसीएस में भरोसा जताया है। बीते एक साल में म्यूचुअल फंड्स ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी 4.25% से बढ़ाकर 5.13% कर ली है। जुलाई के आंकड़े बताते हैं कि उन्होंने लगभग 400 करोड़ रुपये की नई खरीदारी भी की।
टीसीएस में नौकरी कटौती को लेकर चिंता
कंपनी ने हाल ही में कर्मचारियों की संख्या में 2% कटौती का फैसला लिया है। इस पर वैश्विक ब्रोकरेज हाउस जेफरीज ने चेतावनी दी है कि अल्पावधि में इससे प्रोजेक्ट्स के कार्यान्वयन पर असर पड़ सकता है। वहीं, लंबे समय में यह कदम कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि का कारण भी बन सकता है।
लंबे समय के आंकड़े बताते हैं कि आईटी सेक्टर ने बीते दो दशकों में औसतन 12.5% वार्षिक वृद्धि दर हासिल की है, लेकिन पिछले 3–5 वर्षों में इसने निफ्टी से कमजोर प्रदर्शन किया है।