भले ही घरेलू शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रहे, लेकिन भारतीय कंपनियां आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) के जरिए पूंजी जुटाने के मामले में वैश्विक स्तर पर मजबूत प्रदर्शन कर रही हैं। बर्नस्टीन के नवीनतम विश्लेषण के अनुसार, 2025 में भारतीय कंपनियों ने IPO से कुल 14.2 अरब डॉलर जुटाए हैं, जिससे भारत इस सूची में चौथे स्थान पर पहुंच गया है।
सूची में अमेरिका शीर्ष पर है, जहां कंपनियों ने 52.9 अरब डॉलर जुटाए। इसके बाद हांगकांग 23.4 अरब डॉलर और चीन 16.2 अरब डॉलर के साथ क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। रुपये में देखा जाए तो इस साल 74 भारतीय कंपनियों ने प्राथमिक बाजार में IPO के माध्यम से 85,241.08 करोड़ रुपये जुटाए। यह पिछले पांच वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी राशि है। उल्लेखनीय है कि इसमें बीवर्क इंडिया, टाटा कैपिटल और एलजी इलेक्ट्रॉनिक्स इंडिया के तीन बड़े IPO शामिल नहीं हैं, जिनसे 30,000 करोड़ रुपये जुटाने की संभावना थी।
जनवरी 2024 से अब तक 21 महीनों में भारत में कुल 161 कंपनियों के IPO सूचीबद्ध हुए। इनसे निवेशकों को औसतन 22 प्रतिशत का रिटर्न मिला, जो प्रमुख शेयर सूचकांकों के प्रदर्शन से बेहतर रहा। पिछले सात तिमाहियों में से पांच में IPO शेयरों ने निफ्टी सूचकांक को पीछे छोड़ दिया। इनमें से 61 प्रतिशत शेयरों ने छह महीने में निफ्टी से अधिक रिटर्न दिया।
छोटे आकार के IPO ने निवेशकों को अधिक लाभ दिया। दो करोड़ डॉलर से कम के IPO ने लिस्टिंग पर लगभग 40 प्रतिशत का रिटर्न दिया, जबकि दो से चार करोड़ डॉलर के IPO ने 31 प्रतिशत का लाभ दिया। वहीं, एक अरब डॉलर से अधिक के IPO औसतन सिर्फ 9 प्रतिशत रिटर्न दे सके।
विश्लेषकों के अनुसार, भारत में IPO गतिविधियां महत्वपूर्ण इसलिए हैं क्योंकि विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) ने इस साल सेकेंडरी मार्केट से करीब 18 अरब डॉलर निकाले, जबकि प्राथमिक बाजार में 5 अरब डॉलर का निवेश किया गया।