जापान के केंद्रीय बैंक बैंक ऑफ जापान (BOJ) ने शुक्रवार को मौद्रिक नीति में सख्ती का संकेत देते हुए पॉलिसी ब्याज दर को बढ़ाकर 0.75 प्रतिशत कर दिया। यह दर सितंबर 1995 के बाद सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई है। विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम जापान की लंबे समय से चली आ रही ढीली मौद्रिक नीति से निर्णायक बदलाव को दर्शाता है।

गौरतलब है कि BOJ ने पिछले वर्ष लगभग एक दशक तक जारी रही आक्रामक प्रोत्साहन नीति को समाप्त किया था। इसके बाद जनवरी में ब्याज दरों को 0.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.5 प्रतिशत किया गया था। केंद्रीय बैंक का मानना है कि वेतन में निरंतर वृद्धि के चलते देश की महंगाई दर अब स्थायी रूप से 2 प्रतिशत के लक्ष्य के आसपास बनी हुई है, जिससे नीतिगत सख्ती की गुंजाइश बनी है।

हालांकि BOJ ने स्पष्ट किया है कि ताजा बढ़ोतरी के बावजूद वास्तविक ब्याज दरें अभी नकारात्मक दायरे में रहेंगी और वित्तीय परिस्थितियां अर्थव्यवस्था को सहयोग देती रहेंगी। इसके बावजूद इस फैसले का असर वैश्विक बाजारों में देखा जा रहा है, क्योंकि इससे येन को सस्ती फंडिंग मुद्रा के रूप में इस्तेमाल करने की रणनीति पर असर पड़ सकता है। निवेशकों की नजरें अब BOJ गवर्नर काजुओ उएदा की प्रेस वार्ता पर टिकी हैं, जहां आगे की नीति को लेकर संकेत मिलने की उम्मीद है।

वैश्विक बाजारों में मिला-जुला रुख, भारत पर भी असर
ब्याज दर बढ़ोतरी के बाद वैश्विक शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। अमेरिका में एसएंडपी 500 फ्यूचर्स में मामूली बदलाव दर्ज किया गया, जबकि डाउ जोन्स फ्यूचर्स में 0.2 प्रतिशत की गिरावट आई। एशियाई बाजारों में टोक्यो का निक्केई 225 सूचकांक 1.2 प्रतिशत चढ़कर 49,568.66 पर पहुंच गया, जहां बैंकिंग और वित्तीय कंपनियों ने बढ़त का नेतृत्व किया।

हांगकांग का हैंग सेंग 0.4 प्रतिशत की तेजी के साथ 25,610.50 पर बंद हुआ, जबकि शंघाई कंपोजिट 0.5 प्रतिशत बढ़कर 3,895.75 पर पहुंच गया। दक्षिण कोरिया का कोस्पी सूचकांक 0.5 प्रतिशत मजबूत हुआ और ताइवान बाजार में करीब 0.9 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। वहीं भारत में सेंसेक्स में 0.2 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।

यूरोपीय बाजारों में इससे पहले बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा ब्याज दरों में कटौती और यूरोपीय केंद्रीय बैंक के दरें स्थिर रखने के फैसले के बाद तेजी का माहौल बना था। अमेरिकी बाजारों में भी गिरावट का सिलसिला टूटा, जहां एसएंडपी 500 में 0.8 प्रतिशत, डाउ जोन्स में 0.1 प्रतिशत और नैस्डैक कंपोजिट में 1.4 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई।

सोना-चांदी पर दबाव, भारत में दिखा असर
अंतरराष्ट्रीय संकेतों के कमजोर पड़ने से भारतीय वायदा बाजार में सोना और चांदी दबाव में कारोबार करते नजर आए। जानकारों के मुताबिक, जापान में ब्याज दरों में बढ़ोतरी से वैश्विक निवेश प्रवाह प्रभावित हो सकता है, जिसका असर उभरते बाजारों पर स्वाभाविक रूप से पड़ता है।

इसके साथ ही अमेरिका से आए अपेक्षाकृत नरम महंगाई आंकड़ों ने भी कीमती धातुओं की कीमतों पर असर डाला। नवंबर में अमेरिकी उपभोक्ता महंगाई दर 2.7 प्रतिशत रही, जो अनुमान से कम थी। इससे डॉलर में मजबूती आई और अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतों पर दबाव बढ़ा, जिसका असर घरेलू सर्राफा बाजार तक पहुंचा।

विशेषज्ञों का कहना है कि BOJ की सख्त नीति ने येन को फंडिंग करेंसी के रूप में इस्तेमाल करने की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इससे जोखिम वाली परिसंपत्तियों में निवेश की धारणा बदली है। रिलायंस सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट जिगर त्रिवेदी के अनुसार, मजबूत डॉलर और प्रमुख केंद्रीय बैंकों की सख्ती के कारण सोने की कीमतों पर दबाव बना हुआ है। हालांकि भू-राजनीतिक तनाव अभी भी सोने को कुछ हद तक सहारा दे रहे हैं।

कुल मिलाकर, जापान की ब्याज दर बढ़ोतरी और अमेरिका की नरम महंगाई के संयुक्त असर से भारत के सोना-चांदी बाजार में अस्थिरता बनी हुई है। निवेशकों की निगाहें अब वैश्विक केंद्रीय बैंकों के अगले संकेतों पर टिकी हैं, जो आगे बाजार की दिशा तय करेंगे।