नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आधार प्रणाली को आने वाले दशक की तकनीकी चुनौतियों के अनुरूप सुदृढ़ करने के लिए एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति गठित की है। यह समिति आधार को साइबर सुरक्षा खतरों के प्रति और अधिक मजबूत व लचीला बनाने की दिशा में काम करेगी। समिति की अध्यक्षता UIDAI के चेयरमैन नीलकंठ मिश्रा कर रहे हैं।
इस समिति में UIDAI के सीईओ भुवनेश कुमार, न्यूटानिक्स के संस्थापक धीरज पांडे, MOSIP के इंजीनियरिंग प्रमुख शशिकुमार गणेशन, ट्राइलीगल के पार्टनर राहुल मथान, अमृता यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर प्रभाकरण पूर्णचंद्रन, मिशिगन स्टेट यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अनिल जैन, UIDAI के उप महानिदेशक अभिषेक कुमार सिंह, सर्वम एआई के सह-संस्थापक विवेक राघवन, और IIT जोधपुर के प्रोफेसर मयंक वत्स को शामिल किया गया है।
यूआईडीएआई ने एक बयान में बताया कि संस्था ने “आधार विजन 2032” के तहत आधार के अगले दशक के विकास की रूपरेखा तैयार करने की प्रक्रिया शुरू की है। इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य आधार को तकनीकी रूप से सशक्त बनाना और उसे एक सुरक्षित, समावेशी तथा नागरिक-केंद्रित डिजिटल पहचान के रूप में और सुदृढ़ करना है।
समिति “आधार विजन 2032” दस्तावेज तैयार करेगी, जिसमें भारत के डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) एक्ट और वैश्विक गोपनीयता व साइबर सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए अगले चरण के आधार ढांचे की रूपरेखा तय की जाएगी।
यूआईडीएआई के अनुसार, नया फ्रेमवर्क कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), ब्लॉकचेन, क्वांटम कंप्यूटिंग, एडवांस एन्क्रिप्शन और नेक्स्ट-जनरेशन डेटा सिक्योरिटी सिस्टम जैसी अत्याधुनिक तकनीकों पर आधारित होगा। इसका लक्ष्य है कि आधार न केवल भविष्य की जरूरतों के अनुरूप लचीला बना रहे, बल्कि बदलते डिजिटल परिवेश में सुरक्षित और मापनीय भी हो।