जिसने भी असदुद्दीन ओवैसी का नाम भड़काऊ भाईजान रखा है, बहुत ठीक रखा। मुस्लिम समाज को निरन्तर भ्रामक, झूठे तर्कों के जरिये हिन्दू समाज तथा सरकार के प्रति भड़काना और समाज में निरन्तर उत्तेजना व टकराव का वातावरण बनाये रखना ओवैसी बंधुओं का एक मात्र लक्ष्य है।
कोई भी मुद्दा हो, घुमा फिरा कर उसे मुसलमानों के विरुद्ध बता कर समाज में टकराव की स्थिति पैदा करना ओवैसी का काम रह गया है। ऐसी बात कहना जिससे अंतर्विरोध आरम्भ हो, ओवैसी की विशेषता है। संविधान की आड़ लेकर और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बहाने ओवैसी अनर्गल प्रलाप करने का आदी हो चुका है।
एक भारतीय पत्रकार ने इनसे ऋषि सुनक के ब्रिटिश प्रधानमंत्री बनने पर प्रश्न पूछा तो उसका सीधा उत्तर न दे कर कहा- भारत में भी हिजाब पहनने वाली मुस्लिम औरत प्रधानमंत्री बनेगी। 57 इस्लामी मुल्कों में कहीं भी औरत प्रधानमंत्री नहीं बनी। ईरान की औरतें हिजाब के विरुद्ध आन्दोलनरत हैं। जान तक कुर्बान कर रही है और ओवैसी भारत में हिजाब वाली औरत को प्रधानमंत्री बनाने का ख्वाब ‘देख’ रहा है!
“इस मानसिकता को हंसी या मजाक में उड़ाने की जरूरत नहीं। गम्भीरता से चिन्तन की आवश्यकता है कि आखिर ओवैसी के मंसूबे क्या हैं।”
गोविंद वर्मा
संपादक ‘देहात’