मुंबई। बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक एआई-जनरेटेड वीडियो के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। वीडियो में उन्हें महर्षि वाल्मीकि के रूप में दिखाया गया था। कोर्ट ने इसे “गंभीर रूप से चिंताजनक” बताते हुए सभी प्लेटफॉर्म से तुरंत हटाने का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ऐसे डीपफेक वीडियो सिर्फ किसी व्यक्ति की छवि को ही नहीं बल्कि समाज के नैतिक ढांचे को भी प्रभावित कर सकते हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि एआई तकनीक से बनाए गए वीडियो इतने वास्तविक लगते हैं कि असली और नकली में फर्क करना मुश्किल हो गया है। ऐसे कंटेंट से निजता, गरिमा और परिवार की सुरक्षा को खतरा होता है और यह समाज में गलतफहमी और अस्थिरता पैदा कर सकता है।

अक्षय कुमार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बीरेन्द्र साराफ ने अदालत में दलील दी कि एआई-जनरेटेड सामग्री तेजी से फैल रही है और इससे न केवल कलाकारों की छवि को नुकसान पहुंचता है बल्कि भविष्य में फेक न्यूज और साइबर अपराधों का नया चेहरा बन सकता है। अदालत ने इस दलील को मान्यता देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में तकनीकी निगरानी और सख्त नियंत्रण आवश्यक हैं।

अक्षय कुमार ने इस मामले पर 23 सितंबर को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर बयान जारी किया था कि वीडियो पूरी तरह फर्जी हैं। उन्होंने मीडिया से अपील की थी कि किसी भी खबर को चलाने से पहले उसकी पुष्टि की जाए।

इस घटना के बाद केंद्र और राज्य सरकारों से भी एआई आधारित कंटेंट पर निगरानी और कानून बनाने की उम्मीद बढ़ गई है। अक्षय कुमार फिलहाल अपनी आगामी फिल्मों ‘भूत बंगला’, ‘वेलकम टू द जंगल’ और ‘हैवान’ की शूटिंग में व्यस्त हैं।