उत्तर कोरिया से सामने आई एक रिपोर्ट ने दुनिया भर में चिंता बढ़ा दी है। रक्षा क्षेत्र से जुड़ी रिपोर्टों के अनुसार, जंगांग प्रांत में स्थित गोला-बारूद फैक्ट्रियों में काम करने वाले 23 कर्मचारियों और अधिकारियों को जासूसी और सरकार विरोधी गतिविधियों के आरोप में मृत्युदंड दिया गया है।
गोपनीय कार्रवाई और सख्त दंड
जानकारी के अनुसार, उत्तर कोरिया के राज्य सुरक्षा मंत्रालय ने “रक्षा उद्योग में क्रांतिकारी तत्वों से निपटना” नामक रिपोर्ट के आधार पर यह कार्रवाई की है। यह रिपोर्ट 20 जून को मंत्रालय को सौंपी गई थी। इसमें आरोपितों की जांच, आरोपों की प्रकृति, सुनवाई प्रक्रिया और उनके खिलाफ लिए गए निर्णयों का विस्तृत विवरण दिया गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इनमें से कुछ को राजनीतिक कैद शिविरों में भेजा गया, जबकि कई को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। वहीं कुछ कर्मचारियों के परिवारों को भी सजा दी गई, जिसमें उन्हें उनके घरों से निकाला जाना भी शामिल है।
किम जोंग उन के निर्देश पर कार्रवाई
इन कार्रवाइयों को किम जोंग उन द्वारा मार्च और अप्रैल में दिए गए सख्त निर्देशों के अनुपालन में अंजाम दिया गया बताया गया है। इन निर्देशों में पार्टी विरोधी और असंतोषजनक तत्वों पर कड़ी कार्रवाई करने की बात कही गई थी। जंगांग क्षेत्र के रक्षा उद्योगों की विशेष निगरानी की गई, जिसमें कई अनियमितताएं सामने आईं।
जांच में क्या निकला सामने?
जांच के दौरान फैक्ट्रियों से गोपनीय जानकारी के लीक होने, दक्षिण कोरिया की डिजिटल सामग्री बरामद होने, अफवाहें फैलाने, आंकड़ों में हेराफेरी और निजी स्वार्थ के लिए रक्षा सामग्री के दुरुपयोग जैसे गंभीर आरोप सामने आए। एक मामले में एक अधिकारी को केवल इसलिए मौत की सजा दी गई क्योंकि उसने सार्वजनिक रूप से कहा था कि उसे सरकार की रक्षा नीति पर भरोसा नहीं है।
डर का माहौल और उत्पादन में गिरावट
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस डर के माहौल का असर उत्पादन पर भी पड़ा है। पिछले साल की तुलना में इस तिमाही में इन फैक्ट्रियों का उत्पादन करीब 15 प्रतिशत कम रहा। कई कर्मचारी या तो काम छोड़ चुके हैं या चिकित्सकीय कारणों का हवाला देकर स्थानांतरण की मांग कर रहे हैं।
राजनीतिक विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
उत्तर कोरिया के ट्रांजिशनल जस्टिस वर्किंग ग्रुप से जुड़े राजनीतिक विश्लेषक ली सुंग-जू का मानना है कि ऐसी कार्रवाइयाँ किम जोंग उन शासन की नीतिगत सख्ती और दक्षिण कोरियाई प्रभाव के खिलाफ उसकी सतर्कता को दर्शाती हैं। वे इसे सरकार की ताकत दिखाने और असहमति को दबाने की एक संगठित कोशिश बताते हैं।