ढाका। बांग्लादेश में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने के बाद, देश की अंतरिम सरकार ने मीडिया पर कड़ा रुख अपनाया है। सरकार ने सभी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और ऑनलाइन मीडिया संस्थानों को चेतावनी दी है कि वे हसीना के किसी भी कथित बयान का प्रकाशन या प्रसारण न करें।

नेशनल साइबर सिक्योरिटी एजेंसी (एनसीएसए) ने सोमवार को जारी बयान में कहा कि हसीना के बयानों में हिंसा, अव्यवस्था या आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा देने की संभावना हो सकती है। एजेंसी ने स्पष्ट किया कि किसी भी तरह के भड़काऊ या हिंसा भड़काने वाले बयान को प्रसारित करना साइबर सिक्योरिटी ऑर्डिनेंस का उल्लंघन है। ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने पर दो साल तक जेल और अधिकतम 10 लाख टका जुर्माना लगाया जा सकता है।

एनसीएसए ने कहा कि मीडिया संस्थानों से अपील की जाती है कि वे किसी भी हिंसक या आपराधिक रूप से उकसाने वाले बयान को प्रकाशित न करें और अपने कानूनी दायित्वों के प्रति सजग रहें। एजेंसी ने यह भी कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता का सम्मान किया जाता है, लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था की रक्षा प्राथमिकता है।

बता दें कि 78 वर्षीय शेख हसीना को आईसीटी ने सोमवार को मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराते हुए अनुपस्थिति में मृत्युदंड सुनाया। उनके खिलाफ मामला पिछले वर्ष छात्र-नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों पर क्रूर दमन के सिलसिले में दर्ज किया गया था। इसी मामले में पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल को भी मृत्युदंड दिया गया।

इस घटना के बाद बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने फैसले की सराहना की और कहा कि यह संदेश देता है कि कानून के सामने कोई भी शक्ति से ऊपर नहीं है। शेख हसीना, जो पिछले साल अगस्त में विरोध प्रदर्शनों के दौरान बांग्लादेश छोड़कर भारत चली गई थीं, ने इस फैसले को राजनीतिक रूप से प्रेरित और पक्षपाती बताते हुए इसे एक गैर-निर्वाचित सरकार द्वारा स्थापित न्यायाधिकरण का परिणाम बताया है।