बांग्लादेश की बर्खास्त पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवीय अधिकारों के गंभीर उल्लंघन से जुड़े मामलों में विशेष ट्राइब्यूनल ने दोषी करार दिया है। अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने पाँचों आरोपों में उन्हें जिम्मेदार पाया और मौत की सज़ा सुनाने का फैसला सुनाया। इस फैसले के बाद देशभर में तनाव बढ़ गया है और सुरक्षा बलों को चौकन्ना रहने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं, हसीना की पार्टी अवामी लीग ने विरोधस्वरूप बंद का आह्वान किया है।

अभियोजन पक्ष की कड़ी दलीलें

अभियोजकों ने अदालत से मांग की थी कि जुलाई 2023 में छात्रों के खिलाफ हुए हिंसक दमन के लिए शेख हसीना को मुख्य साज़िशकर्ता मानते हुए फांसी की सज़ा दी जाए। उस अभियान में करीब 1,400 लोगों की मौत हुई थी। आरोप है कि सरकार ने आंदोलनों को कुचलने के लिए सुरक्षा एजेंसियों का दुरुपयोग किया।
दूसरी ओर, हसीना एवं उनकी पार्टी का कहना है कि यह कार्रवाई राजनीतिक प्रतिशोध से प्रेरित है।

कौन-कौन से आरोप साबित हुए?

1) नागरिकों पर अत्याचार की मंज़ूरी

ट्राइब्यूनल ने पाया कि हसीना और वरिष्ठ अधिकारियों ने हत्या, हत्या के प्रयास, यातना और अन्य अमानवीय कृत्यों को रोकने के बजाय उन्हें बढ़ावा दिया। आरोप है कि हसीना की प्रेस वार्ता के तुरंत बाद अधिकारियों ने दमन अभियान को गति दी।

2) हेलीकॉप्टर और ड्रोन से हमले का आदेश

अदालत के अनुसार, शेख हसीना ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए उन्नत और घातक हथियारों के इस्तेमाल की अनुमति दी। गृह मंत्री और पुलिस प्रमुख पर आरोप है कि उन्होंने इस आदेश को लागू करवाया।

3) छात्र अबू सईद की हत्या

रंगपुर के बेगम रोकैया विश्वविद्यालय के पास छात्र अबू सईद की मौत को भी अदालत ने योजनाबद्ध कार्रवाई माना। फैसले में कहा गया कि यह हसीना के भड़काऊ निर्देशों और अधिकारियों की मिलीभगत का नतीजा था।

4) चंखरपुल में छह प्रदर्शनकारियों की हत्या

पांच अगस्त 2023 को ढाका के चंखरपुल में निहत्थे छात्रों की गोली मारकर हत्या को ट्राइब्यूनल ने ‘मानवता के खिलाफ अपराध’ माना। यह घटना भी आदेश, उकसावे और साजिश का हिस्सा बताई गई।

5) अशुलिया कांड- छात्रों को जिंदा जलाया गया

अशुलिया में हुई क्रूर घटना में छह छात्रों को गोली मारने और उनमें से पांच को जलाने का आरोप साबित हुआ। एक छात्र को कथित तौर पर जीवित अवस्था में आग लगा दी गई थी।

आगे क्या? हसीना की कानूनी लड़ाई मुश्किल

अंतरिम सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि फैसला तुरंत लागू किया जाएगा। कानूनी प्रक्रिया के अनुसार, किसी भी दोषी को अपील करने के लिए गिरफ्तारी या आत्मसमर्पण ज़रूरी है। चूंकि शेख हसीना वर्तमान में भारत में मौजूद हैं, ऐसे में उनकी राह काफी कठिन मानी जा रही है।
अभियोजकों के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट में अपील 30 दिनों के भीतर दाखिल करनी होती है और अदालत को 60 दिनों में सुनवाई पूरी करनी होती है।