बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मानवता विरोधी अपराधों से जुड़े मामले में सोमवार को आने वाले फैसले से ठीक पहले राजधानी ढाका सहित कई जिलों में हालात बिगड़ते नजर आए। रविवार देर शाम से ही उग्र प्रदर्शनों, आगजनी, सड़क जाम और धमाकों की घटनाओं ने पूरे देश में भय का माहौल पैदा कर दिया है। हालात नियंत्रित करने के लिए पुलिस के साथ सेना और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी) को भी तैनात किया गया है।
ढाका में कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए पुलिस को हिंसक प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने की अनुमति दे दी गई है। इस बीच, पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं से शांत रहने की अपील की है, जबकि अभियोजन पक्ष ने उनके लिए मौत की सजा की मांग दोहराई है।

आज आएगा शेख हसीना के खिलाफ फैसला

अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बीडी) सोमवार को 78 वर्षीय शेख हसीना के खिलाफ फैसला सुनाएगा। मामले की सुनवाई के दौरान वह अदालत में पेश नहीं हुईं। अभियोजक गाजी एमएच तमीम ने बताया कि हसीना के लिए अधिकतम सजा और उनकी संपत्ति जब्त कर घायल व मृतकों के परिवारों में बांटने का अनुरोध किया गया है।
आईसीटी-बीडी के कानून के अनुसार, हसीना तब तक फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं दे सकतीं जब तक वे आत्मसमर्पण नहीं करतीं या फैसले के 30 दिनों के भीतर गिरफ्तार नहीं हो जातीं।

देशभर में सुरक्षा कड़ी, ढाका पुलिस को कड़े निर्देश

सरकारी एजेंसी बीएसएस के मुताबिक, गृह सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने बताया कि सुरक्षा एजेंसियों ने अप्रिय घटनाओं को रोकने की सभी तैयारियां कर ली हैं। ढाका में पुलिस को विशेष निर्देश दिए गए हैं कि बसों में आग लगाने या जानलेवा बम फेंकने वाले उपद्रवियों पर सीधी कार्रवाई की जाए।
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस (डीएमपी) आयुक्त एसएम सज्जात अली ने भी स्पष्ट किया कि उन्होंने वायरलेस पर आदेश दिया है कि ‘जो भी जान के इरादे से हिंसा करेगा, उसे गोली मारी जाए।’

मानवता विरोधी अपराधों के आरोप

शेख हसीना, उनके गृह मंत्री असद-उज-जमां खान कमाल और तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल-मामून पर पिछले वर्ष हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हत्या, हत्या के प्रयास, यातना और अन्य अमानवीय कृत्यों के आरोप हैं। न्यायाधिकरण ने इस साल जुलाई में तीनों पर आरोप तय किए थे।
हसीना और कमाल पर गैरहाजिरी में मुकदमा चला और अदालत ने दोनों को भगोड़ा घोषित किया। वहीं मामून ने व्यक्तिगत रूप से मुकदमे का सामना किया और बाद में सरकारी गवाह बन गए।

हसीना का दावा—“आरोप झूठे, मुझे डर नहीं”

अपनी पार्टी अवामी लीग की वेबसाइट पर जारी एक ऑडियो संदेश में शेख हसीना ने समर्थकों से शांत रहने को कहा और खुद पर लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया। उन्होंने कहा—“मुझे इन झूठे आरोपों की कोई परवाह नहीं। मैं देश की सेवा कर रही हूं और आगे भी करती रहूंगी। मेरे खिलाफ साजिशें नई नहीं हैं।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछले वर्ष उनकी सरकार को हटाने के पीछे अंतरिम सरकार प्रमुख मुहम्मद यूनुस की “सुनियोजित भूमिका” रही।
हसीना ने संविधान के अनुच्छेद 7(बी) का हवाला देते हुए कहा कि चुनी हुई सरकार को बलपूर्वक हटाना दंडनीय अपराध है और यूनुस ने यही किया।