यूएई में दुबई एयर शो 2025 का आज, 17 नवंबर से उद्घाटन हो गया है। इस दो दिवसीय कार्यक्रम में भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को दुनिया के सामने प्रदर्शित करेगा। भारतीय वायुसेना अपने सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम और एलसीए तेजस लड़ाकू विमानों के साथ एयर शो में भाग लेगी।
रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे। अपनी यात्रा के दौरान वे अपने यूएई समकक्ष के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे और भारत, यूएई, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्राजील, ब्रिटेन और इटली की लगभग 50 कंपनियों के साथ एक उद्योग राउंड टेबल सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे, जिसका उद्देश्य भारत में रक्षा तकनीक सहयोग को बढ़ाना है।
दुबई में भारत की क्षमताओं का प्रदर्शन
DRDO ने घोषणा की है कि यह एयर शो 2025 में एडवांस एयरोस्पेस तकनीकों से लेकर अगली पीढ़ी की रक्षा प्रणालियों तक भारत की क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा। दुबई एयर शो 17 से 21 नवंबर 2025 तक चलेगा।
इस कार्यक्रम में दुनिया के 150 देशों से 1,000 से अधिक प्रदर्शक और 1,40,000 से ज्यादा उद्योग विशेषज्ञ शामिल होते हैं, जिसमें प्रमुख अंतरराष्ट्रीय एयरोस्पेस कंपनियां भी भाग लेती हैं।
इंडिया पविलियन और भारतीय कंपनियों का प्रदर्शन
संजय सेठ इंडिया पविलियन का उद्घाटन करेंगे। इस पविलियन में HAL, DRDO, कोरल टेक्नोलॉजीज, डेंटल हाइड्रॉलिक्स, इमेज सिनर्जी एक्सप्लोर और SFO टेक्नोलॉजीज जैसी प्रमुख भारतीय कंपनियों के स्टॉल होंगे। इसके अलावा, 19 भारतीय रक्षा कंपनियां अपने उत्पाद स्वतंत्र रूप से प्रदर्शित करेंगी। इनमें भारत फोर्ज, ब्रह्मोस, टेक महिंद्रा और HBL इंजीनियरिंग शामिल हैं।
15 भारतीय स्टार्टअप भी इस एयर शो में हिस्सा लेंगे और आधुनिक रक्षा समाधान और नई तकनीकें प्रदर्शित करेंगे।
तेजस विमानों से रोमांच
भारतीय वायुसेना की सूर्यकिरण एरोबैटिक टीम और एलसीए तेजस विमान पहले ही दुबई के अल मकतूम एयरबेस पहुंच चुके हैं। वायुसेना ने बताया कि इस शो में 100 से अधिक वायु सेनाएं भाग लेंगी, जिससे टीमवर्क मजबूत होगा और नई क्षमताओं का आदान-प्रदान होगा।
दुबई एयर शो का इतिहास
दुबई एयर शो की शुरुआत 1986 में अरब एयर के नाम से हुई थी। उस समय इसमें सिर्फ 200 प्रदर्शक और 25 विमान शामिल थे। अब यह दुनिया के सबसे बड़े एयरोस्पेस आयोजनों में से एक बन चुका है। 2025 के शो में 1,500 से अधिक प्रदर्शक, लगभग 1,48,000 उद्योग विशेषज्ञ, 200 से अधिक विमान और 350 से ज्यादा वैश्विक विशेषज्ञ शामिल होंगे।