अमेरिका और यूरोप के संबंधों पर हाल ही में उभरे तनाव के बीच पोप लियो 14वें ने ट्रंप प्रशासन की नीतियों पर कड़ी आपत्ति जताई है। मंगलवार को दिए एक बयान में उन्होंने कहा कि अमेरिका द्वारा दशकों पुराने अमेरिका–यूरोप सहयोग को कमजोर करने की कोशिशें अंतरराष्ट्रीय स्थिरता के लिए चिंता का विषय हैं। विश्व की सबसे बड़े ईसाई समुदाय के प्रमुख धर्मगुरु द्वारा की गई यह सार्वजनिक टिप्पणी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के लिए एक गंभीर राजनीतिक संदेश मानी जा रही है।
ट्रंप प्रशासन ने बीते दिनों यूरोपीय देशों की भूमिका पर सवाल उठाते हुए यूक्रेन को मिलने वाली अमेरिकी सहायता में कटौती के संकेत दिए थे। इस पृष्ठभूमि में पोप लियो ने बिना नाम लिए कहा कि किसी भी शांति प्रक्रिया में यूरोप की भागीदारी अनिवार्य होगी। उनके अनुसार, ‘‘जब संघर्ष यूरोप की सीमा में हो रहा है, तो शांति समझौते से उसे दूर रखना अव्यावहारिक है। सुरक्षा की गारंटी और भविष्य की स्थिरता का भागीदार यूरोप ही हो सकता है।’’
कीव दौरे के दौरान पोप लियो 14वें ने यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की से मुलाकात कर युद्धविराम की आवश्यकता पर जोर दिया। बातचीत में उन्होंने रूसी कब्जे में रखे गए यूक्रेनी बच्चों की सुरक्षित वापसी के लिए वेटिकन की पहल का भी उल्लेख किया। पत्रकारों द्वारा अमेरिकी शांति प्रस्ताव और उसमें यूरोपीय शक्तियों को किनारे किए जाने के सवाल पर पोप ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ‘‘यूरोप को दरकिनार करके कोई स्थायी समाधान संभव नहीं है।’’
राष्ट्रपति जेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेन वर्तमान में अमेरिका और यूरोपीय सहयोगियों के साथ तीन अलग-अलग दस्तावेजों पर काम कर रहा है—20 बिंदुओं वाला शांति खाका, सुरक्षा गारंटी से संबंधित दस्तावेज और युद्ध के बाद पुनर्निर्माण की रूपरेखा।
उधर, हाल ही में ट्रंप प्रशासन की नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति जारी हुई है जिसमें पारंपरिक अमेरिका–यूरोप गठबंधन की समीक्षा और रूस के साथ बेहतर संबंधों की इच्छा सामने रखी गई है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए पोप लियो ने कहा कि दस्तावेज़ में वर्णित बातें ‘‘वर्षों पुराने वास्तविक गठबंधन में बड़े बदलाव की ओर इशारा करती हैं’’ और कुछ टिप्पणियों से ऐसा प्रतीत होता है कि ‘‘भविष्य की आवश्यक साझेदारी को कमजोर करने के प्रयास किए जा रहे हैं।’’
पोप लियो अब तक यूक्रेनी राष्ट्रपति से तीन बार मुलाकात कर चुके हैं, जबकि वे रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से भी कम से कम एक बार फोन पर वार्ता कर चुके हैं। पोप ने कहा कि अमेरिका में इस नई नीति से कुछ लोग सहमत हो सकते हैं, लेकिन बहुत से लोग इस बदलाव के संभावित प्रभावों को लेकर चिंतित भी हैं।