अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात से बड़े फैसलों की उम्मीद थी, लेकिन तीन घंटे तक चली बंद कमरे की बातचीत किसी निर्णायक समझौते पर खत्म नहीं हो सकी। बैठक के बाद दोनों नेताओं ने प्रेस से महज 12 मिनट बातचीत की। सबसे अधिक चर्चा इस बात की रही कि ट्रंप केवल 3 मिनट 20 सेकंड बोले, जबकि पुतिन ने पूरी तैयारी के साथ लंबा वक्त लिया।
विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन के आत्मविश्वास की वजह उनकी पांच सदस्यीय डेलीगेशन टीम रही, जिसमें रूस की विदेश नीति और अर्थव्यवस्था के दिग्गज शामिल थे।
पुतिन की ‘पावर टीम’
- सर्गेई लावरोव (विदेश मंत्री): 1950 में जन्मे लावरोव 2004 से लगातार विदेश मंत्री हैं और रूस की सख्त विदेश नीति का चेहरा माने जाते हैं।
- किरिल दिमित्रिएव (आर्थिक रणनीतिकार): रूस के Sovereign Wealth Fund के प्रमुख और पश्चिमी पाबंदियों को दरकिनार करने के माहिर। स्टैनफोर्ड से पढ़े दिमित्रिएव को 2025 में विदेशी निवेश और सहयोग का विशेष दायित्व दिया गया।
- आंद्रे बेलोउसॉव (रक्षा मंत्री): अर्थशास्त्री से रक्षा मंत्री बने बेलोउसॉव का काम युद्ध व्यवस्था को आर्थिक अनुशासन और दक्षता से चलाना है।
- एंटोन सिलुआनोव (वित्त मंत्री): 2011 से वित्त मंत्रालय संभाल रहे सिलुआनोव बजट अनुशासन के लिए मशहूर हैं और युद्धकालीन अर्थव्यवस्था को टिकाए रखने में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
- यूरी उशाकोव (विदेश नीति सलाहकार): पूर्व राजदूत और पुतिन के भरोसेमंद सलाहकार, जिनकी रणनीति अंतरराष्ट्रीय मंच पर रूस की छवि गढ़ने और संदेश तय करने में अहम मानी जाती है।
इन दिग्गजों की मौजूदगी ने अलास्का वार्ता में पुतिन की स्थिति को और मजबूत कर दिया, जबकि ट्रंप अपेक्षाकृत कम तैयार नजर आए।