अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच हाल ही में हुई बैठक ने दोनों देशों के संबंधों में एक नया मोड़ ला दिया है। क्राउन प्रिंस आख़िरी बार 2018 में अमेरिका आए थे, जिसके बाद तीन वर्षों तक वॉशिंगटन और रियाद के रिश्ते तमाम विवादों और जांचों के बीच ठहरे हुए दिखाई दिए। इसी दौर में राष्ट्रपति जो बाइडन ने बिन सलमान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की बात भी कही थी।

ओवल ऑफिस में बदला माहौल

इस सप्ताह जब क्राउन प्रिंस एक बार फिर ओवल ऑफिस पहुंचे, तो तस्वीर बिल्कुल अलग नज़र आई। एक पत्रकार द्वारा वॉशिंगटन पोस्ट के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या पर सवाल उठाए जाने पर राष्ट्रपति ट्रंप ने उस पत्रकार को ही फटकार लगाई और कहा कि वह “मेहमान को शर्मिंदा न करें।” यह संकेत था कि वॉशिंगटन में सऊदी नेतृत्व की छवि अब पहले जैसी नहीं रही।

सऊदी अरब के लिए बड़े कूटनीतिक लाभ

बैठक से इतर अमेरिकी प्रशासन की ओर से हुए प्रमुख ऐलान बताते हैं कि मोहम्मद बिन सलमान की अमेरिकी राजधानी में पुनर्वापसी कितनी प्रभावशाली रही है। माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन खशोगी प्रकरण को पीछे छोड़कर सऊदी अरब के साथ आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी पर ध्यान केंद्रित करना चाहता है—खासकर तब जब रियाद अमेरिका में करीब एक ट्रिलियन डॉलर के निवेश का आश्वासन दे चुका है।

लंबे समय से अमेरिका सऊदी अरब और इज़राइल के बीच संबंध सामान्य करने की कोशिश करता रहा है, लेकिन इस बार सऊदी अरब ने वॉशिंगटन को अपने पक्ष में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर झुकाने में सफलता पाई। ट्रंप प्रशासन ने अब उन शर्तों को अलग कर दिया है, जिनके तहत दोनों देशों के बड़े रक्षा व व्यापार समझौतों को इज़राइल के साथ पूर्ण सामान्यीकरण से जोड़ा जा रहा था।

बाइडन डॉक्ट्रिन से उलट रुख

पिछले वर्ष तक बाइडन प्रशासन का रुख स्पष्ट था—किसी भी व्यापक अमरीकी–सऊदी समझौते के लिए तीनों पहलू समान रूप से आगे बढ़ने चाहिए:

  1. अमेरिका–सऊदी रक्षा व व्यापार समझौते,

  2. इज़राइल–सऊदी सामान्यीकरण,

  3. तथा फिलिस्तीन के लिए व्यवहार्य राज्य की दिशा में इज़राइल की सहमति।

लेकिन इज़राइल ने फिलिस्तीनी राज्य की संभावना को खारिज कर दिया और सऊदी अरब भी अपनी शर्तों पर अडिग रहा। अब ट्रंप प्रशासन ने इन मुद्दों को अलग कर दिया है, जिससे रियाद को वह सुरक्षा व आर्थिक लाभ मिल रहे हैं, जिनकी उसे लंबे समय से प्रतीक्षा थी—बिना इज़राइल के साथ औपचारिक सामान्यीकरण के दबाव के।

रक्षा सौदे, F-35 और रणनीतिक समझौते

इस सप्ताह अमेरिका ने सऊदी अरब को "प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी" का दर्जा दिया है। साथ ही, इज़राइली विमानों के समकक्ष F-35 लड़ाकू विमान बेचने की प्रक्रिया तेज की जा रही है और एक नया रणनीतिक रक्षा समझौता भी अंतिम चरण में है।

AI, चिप्स और ऊर्जा क्षेत्र में नई साझेदारी

सऊदी अर्थव्यवस्था को तेल-निर्भरता से मुक्त करने की क्राउन प्रिंस की नीति को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों के बीच AI सहयोग का नया ढांचा तैयार किया गया है। इसमें एडवांस्ड चिप्स की बिक्री की अनुमति, महत्वपूर्ण खनिजों पर साझेदारी और परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं में नए सहयोग के रास्ते खोले गए हैं।

क्षेत्रीय मुद्दों पर भी बढ़ी तालमेल

ट्रंप प्रशासन ने क्राउन प्रिंस के क्षेत्रीय सुझावों को भी गंभीरता से लिया है। इसमें सूडान के गृहयुद्ध को समाप्त करने में अमेरिका की भूमिका बढ़ाने पर सहमति शामिल है।