सुनारिया जेल से 40 दिन की पैरोल पर बाहर आए डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह ने सिरसा पहुंचने के दूसरे दिन दो घंटे तक सत्संग किया। इस दौरान उन्होंने पहली बार पंजाबी भाषा में भजन प्रस्तुत किया— "मैं कल्ली नहीं कहंदी, गल दुनियां कहंदी ऐ, नूर तेरे ते दिनों दिन लाली छाई रहंदी ऐ"— जिसे सुनते ही उपस्थित श्रद्धालु झूम उठे।
सत्संग के दौरान गुरमीत सिंह ने दावा किया कि वर्ष 2009 में उन्होंने एक ऐसा उपकरण बनाया था जिससे सांपों को पकड़ा जा सकता है और आज वही यंत्र अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उपयोग में लाया जा रहा है।
अनुयायियों के सवालों का जवाब देते हुए, एक प्रश्न पर कि यदि जीवनसाथी के विवाहेतर संबंध हों तो क्या उसके साथ जीवन बिताना उचित है, उन्होंने कहा कि यह समस्या आम होती जा रही है और कामवासना के कारण परिवार टूट रहे हैं। ऐसे में संबंधित व्यक्ति को परिवार के साथ बैठकर चर्चा करनी चाहिए और जीवनसाथी को कम से कम दो अवसर दिए जाने चाहिए। साथ ही किसी संत या फकीर के सान्निध्य में ले जाकर उसका मार्गदर्शन करवाना चाहिए ताकि सुधार की संभावना बनी रहे।
एक अन्य सवाल में जब यह पूछा गया कि क्या प्रत्येक आत्मा किसी विशेष उद्देश्य से जन्म लेती है और उस उद्देश्य को पहचानने का तरीका क्या है, तब डेरा प्रमुख ने कहा कि आत्मा की पहचान से पहले गुरु की पहचान जरूरी है। उनके अनुसार, गुरु कभी अपने दुखों की चर्चा नहीं करता, और सच्चा गुरु वही होता है जो जन्म से ही ईश्वरीय जुड़ाव लेकर आता है— वह बनाया नहीं जाता, बल्कि जन्मजात होता है।
एक अनुयायी ने यह भी पूछा कि जैसे उन्होंने अचानक आकर संगत को चौंकाया, क्या उन्हें भी कभी परमात्मा ने कोई ऐसा अनुभव दिया है। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि उनका सम्पूर्ण जीवन ही आश्चर्य से भरा रहा है। उन्होंने बताया कि मस्ताना जी ने एक दिन उनकी छाती पर उंगली रखी और वहीं समा गए। उन्होंने कहा कि एक उंगली से तीन अस्तित्व बन गए, और यही उनकी साध संगत के लिए सबसे बड़ा सरप्राइज था।