फरीदाबाद। दिल्ली ब्लास्ट के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी का शैक्षणिक सत्र पटरी पर नहीं लौट पाया है। फैकल्टी की कमी के कारण छात्रों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा और भविष्य की चिंता के चलते कई सहायक प्रोफेसर ने विश्वविद्यालय छोड़ने का निर्णय लिया है। अब तक करीब 10 सहायक प्रोफेसर नौकरी छोड़कर जा चुके हैं, जिससे कई लेक्चर खाली रह रहे हैं।
एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र फिलहाल अवकाश पर हैं। विश्वविद्यालय ने उन्हें सलाह दी है कि वे तनाव न लें, घर पर सर्दियों की छुट्टियां बिताएं और एक सप्ताह बाद लौटकर पढ़ाई में शामिल हों। छुट्टी पर आए छात्रों ने बताया कि अधिकतर लेक्चर नहीं हो रहे, जिसके चलते हॉस्टल में रहने का औचित्य भी नहीं बचा है।
सूत्रों का कहना है कि अल-फलाह ग्रुप के मालिक जावेद सिद्दीकी की गिरफ्तारी के बाद विश्वविद्यालय के स्टाफ में भय का माहौल है। मेडिकल स्टाफ और अन्य ब्रांच के कर्मचारी भी लगातार इस्तीफे दे रहे हैं। इनमें कश्मीरी मूल के डॉक्टर भी शामिल हैं।
यूनिवर्सिटी में कई डॉक्टरों को हॉस्टल में रहने के कमरे उपलब्ध कराए गए थे, लेकिन दिल्ली ब्लास्ट के बाद जांच एजेंसियों की लगातार पूछताछ के चलते सहायक प्रोफेसरों ने पहले अपने परिवार को घर भेजा और फिर खुद छुट्टी लेकर घर चले गए। इसके बाद उन्होंने अपने इस्तीफे भी दे दिए।
अल-फलाह के अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में कुल 200 नर्सिंग स्टाफ हैं, जिनमें करीब 80 प्रतिशत मुस्लिम और 20 प्रतिशत हिंदू हैं। इनमें से लगभग 35 प्रतिशत कश्मीरी हैं और लगभग 40 प्रतिशत स्टाफ वर्तमान में गैर हाजिर है। इसमें डॉक्टर और पैरा मेडिकल स्टाफ दोनों शामिल हैं। विश्वविद्यालय की वाइस चांसलर भूपिंदर कौर से इस मामले में संपर्क साधा गया, लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया और वाट्सएप संदेश का भी कोई जवाब नहीं दिया।