गुजरात सरकार ने फैक्ट्री अधिनियम, 1948 में महत्वपूर्ण संशोधन करते हुए कर्मचारियों की ड्यूटी अवधि और महिला श्रमिकों की कार्य प्रणाली में बड़ा बदलाव किया है। राज्य के श्रम, कौशल विकास और रोजगार विभाग की ओर से 1 जुलाई को जारी अध्यादेश में यह संशोधन लागू किया गया है, जिसका उद्देश्य औद्योगिक गतिविधियों को गति देना, निवेश आकर्षित करना और रोजगार के नए अवसर पैदा करना है।
ड्यूटी अवधि अब 12 घंटे, लेकिन कुल साप्ताहिक कार्य समय 48 घंटे ही
नए प्रावधानों के अनुसार, कर्मचारियों की प्रतिदिन की ड्यूटी अवधि 9 घंटे से बढ़ाकर अधिकतम 12 घंटे कर दी गई है। हालांकि, पूरे सप्ताह में कुल कार्य अवधि 48 घंटे ही रहेगी। इसका अर्थ है कि कोई कर्मचारी यदि सप्ताह में चार दिन 12-12 घंटे कार्य करता है, तो उसकी ड्यूटी पूरी मानी जाएगी। इसके साथ ही, बढ़ी हुई शिफ्ट अवधि के लिए कर्मचारी की लिखित सहमति अनिवार्य होगी। कार्य के दौरान बिना अवकाश 5 से 6 घंटे काम करने का नियम भी लागू किया गया है।
ओवरटाइम की सीमा भी बढ़ाई गई
ओवरटाइम की अधिकतम सीमा को संशोधित करते हुए 75 घंटे से बढ़ाकर 125 घंटे कर दिया गया है। इसके लिए भी कर्मचारियों की लिखित अनुमति आवश्यक होगी।
महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम की अनुमति
इस संशोधन में महिलाओं के लिए भी बड़ा बदलाव किया गया है। अब महिला कर्मचारी शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे तक की नाइट शिफ्ट में काम कर सकेंगी, बशर्ते उनकी सुरक्षा को लेकर जरूरी व्यवस्थाएं फैक्ट्री द्वारा सुनिश्चित की जाएं।
महिला कर्मचारियों के लिए निर्धारित सुरक्षा मानक:
- कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न रोकने के लिए सख्त उपाय।
- स्वास्थ्य, स्वच्छता और अवकाश से जुड़ी सुविधाओं की उपलब्धता।
- शिकायत निवारण की उचित व्यवस्था।
- फैक्ट्री परिसर, उसके बाहर और आसपास पर्याप्त रोशनी व सीसीटीवी कवरेज।
- नाइट शिफ्ट में कम से कम 10 महिला कर्मचारी एक समूह में रहें।
- महिला गार्ड सहित सुरक्षा इंतजाम अनिवार्य।
- परिवहन सुविधा उपलब्ध हो, जिसमें यह ध्यान रखा जाए कि कोई महिला कर्मचारी न पहले पिकअप हो और न अंतिम ड्रॉप।
सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी भी महिला को जबरन नाइट ड्यूटी करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा। केवल इच्छुक महिला कर्मचारियों से लिखित सहमति लेकर ही उन्हें रात्रिकालीन शिफ्ट में लगाया जा सकेगा।
यह संशोधन गुजरात में औद्योगिक क्षेत्र की बदलती जरूरतों के अनुरूप माना जा रहा है, जहां आधुनिक कार्य परिवेश और महिला सशक्तिकरण की दिशा में सरकार सक्रिय रूप से कदम उठा रही है।
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