असम विधानसभा ने गुरुवार को बहुविवाह को दंडनीय अपराध घोषित करने वाला महत्वपूर्ण विधेयक पारित कर दिया। इस बिल के लागू होने के बाद राज्य में एक से अधिक विवाह करना आपराधिक कृत्य माना जाएगा और दोषी को दस वर्ष तक की कैद हो सकेगी। मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने विधेयक को महिलाओं की सुरक्षा और अधिकारों को मजबूत करने की दिशा में मील का पत्थर बताया। उन्होंने यह भी दोहराया कि यदि उन्हें अगला कार्यकाल मिलता है तो राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) लागू किया जाएगा।

सभी समुदायों पर लागू होगा कानून, लेकिन एसटी वर्ग को छूट
नए कानून में स्पष्ट किया गया है कि इसका दायरा सभी समुदायों तक विस्तृत होगा। हालांकि, अनुसूचित जनजातियों और छठी अनुसूची क्षेत्रों को इससे बाहर रखा गया है। मुख्यमंत्री सरमा ने सदन को आश्वस्त किया कि बिल किसी धर्म विशेष को लक्षित नहीं करता, बल्कि समाज में समानता और महिलाओं की गरिमा सुनिश्चित करना इसका मूल उद्देश्य है।

‘धर्म आधारित कानून नहीं’—सरमा
सदन में जवाब देते हुए सरमा ने कहा कि बहुविवाह की घटनाएं सिर्फ किसी एक समुदाय में नहीं मिलतीं, बल्कि विभिन्न समाजों में इस प्रकार के मामले सामने आते रहे हैं। उन्होंने विपक्ष द्वारा इसे धर्म-विरोधी बताने की आलोचना करते हुए कहा कि कानून सभी नागरिकों पर समान रूप से लागू होगा।

विपक्ष के संशोधन प्रस्ताव खारिज
सरकार की अपील के बावजूद एआईयूडीएफ और सीपीआई(एम) ने अपने संशोधन प्रस्ताव वापस नहीं लिए। मतदान में दोनों के प्रस्ताव आवाज मत से खारिज कर दिए गए। विपक्ष ने कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई, जबकि सरकार ने बिल को सामाजिक सुधार की दिशा में आवश्यक कदम बताया।

अगले कार्यकाल में यूसीसी लाने का दावा
मुख्यमंत्री सरमा ने घोषणा की कि यदि आगामी विधानसभा चुनावों के बाद उनकी सरकार लौटती है, तो नए कार्यकाल के पहले ही सत्र में यूसीसी विधेयक प्रस्तुत कर पास कराया जाएगा। उनके अनुसार, बहुविवाह पर प्रतिबंध को यूसीसी की दिशा में बुनियादी कदम माना जाना चाहिए।

लव-जिहाद पर भी सख्ती की तैयारी
सरमा ने यह भी बताया कि फरवरी तक धोखाधड़ी या भ्रामक पहचान के आधार पर किए गए विवाहों पर रोक लगाने के लिए एक अलग कानून लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि असम में ‘लव-जिहाद’ जैसी गतिविधियों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।