असम के धुबरी जिले के बमुनिगांव में भारतीय सेना ने ‘लाचित बोरफुकन मिलिट्री स्टेशन’ की नींव रख दी है। यह स्टेशन बांग्लादेश सीमा से लगभग 40 किलोमीटर दूर होगा और पश्चिमी असम का पहला सैन्य ठिकाना बनेगा। इस स्टेशन का उद्देश्य सीमाई इलाकों की सुरक्षा, निगरानी और खुफिया तंत्र को और सशक्त करना है।
पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल आर.सी. तिवारी ने हाल ही में अग्रिम चौकियों के दौरे के दौरान इस नए सैन्य स्टेशन की आधारशिला रखी।
क्यों है यह स्टेशन खास
सेना के पूर्व अधिकारी ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) रंजीत कुमार बोरठाकुर ने बताया कि बांग्लादेश की मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए यह कदम अत्यंत महत्वपूर्ण है। अब तक इस क्षेत्र के लिए सबसे नजदीकी सैन्य ठिकाने कूचबिहार (पश्चिम बंगाल) और तमुलपुर (असम) में थे। धुबरी में नया स्टेशन बनने से ‘ह्यूमन’ और ‘सिग्नल इंटेलिजेंस’ दोनों को बड़ी मजबूती मिलेगी।
सेना के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने बताया कि यह स्टेशन न केवल क्षेत्र की निगरानी को आसान बनाएगा, बल्कि स्थानीय लोगों में सुरक्षा की भावना भी बढ़ाएगा।
1500 जवानों की तैनाती और पैरा-कमांडो यूनिट की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, यह नया स्टेशन तेजपुर स्थित 4 कोर के अधीन रहेगा। यहां करीब 1200 से 1500 जवानों की तैनाती की जाएगी। शुरुआती चरण में कार्य को शीघ्र पूरा करने के लिए प्री-फैब्रिकेटेड ढांचे तैयार किए जा रहे हैं। असम सरकार ने इस परियोजना के लिए भूमि कुछ ही महीनों में सेना को उपलब्ध करा दी थी। स्टेशन में एक पैरा-कमांडो यूनिट की भी स्थापना की जाएगी।
लेफ्टिनेंट कर्नल रावत ने कहा कि यह स्टेशन सशस्त्र बलों और राज्य प्रशासन के बीच सहयोग और समन्वय का प्रतीक है तथा राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय विकास के साझा दृष्टिकोण को दर्शाता है।
बांग्लादेश की राजनीति और सुरक्षा चुनौतियां
ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) बोरठाकुर ने कहा कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के आने के बाद से भारत के प्रति उसका रवैया कठोर हुआ है। पाकिस्तान के साथ बढ़ती नजदीकियां और दोनों देशों के बीच बढ़ते रक्षा संपर्क भारत के लिए चिंता का विषय हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के कार्यवाहक सरकार प्रमुख मुहम्मद यूनुस द्वारा सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर दिए गए बयान और चीन को लालमोनिरहाट एयरफील्ड के उपयोग की अनुमति, दोनों ही भारत की सुरक्षा दृष्टि से गंभीर संकेत हैं।
लगभग 22 किलोमीटर लंबा सिलीगुड़ी कॉरिडोर पूर्वोत्तर भारत को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ता है और रणनीतिक रूप से बेहद संवेदनशील क्षेत्र है।
सीमा पार अपराधों पर नियंत्रण में अहम भूमिका
बोरठाकुर ने बताया कि बांग्लादेश सीमा पर तस्करी, अवैध प्रवासन, पशु तस्करी और कट्टरपंथी गतिविधियां लंबे समय से चुनौती बनी हुई हैं। बीएसएफ और अन्य एजेंसियां सीमा प्रबंधन में जुटी हैं, लेकिन सेना को अपनी खुफिया क्षमताओं, खासकर सिग्नल और मानव इंटेलिजेंस, को और मजबूत करने की आवश्यकता है।
धुबरी में बनने वाला यह नया स्टेशन इन प्रयासों को नई दिशा देगा और न केवल असम बल्कि पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र की सुरक्षा रणनीति को मजबूती प्रदान करेगा।
इससे पहले जून में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी कहा था कि ईद-उल-जुहा के बाद राज्य में सांप्रदायिक तनाव की घटनाओं को देखते हुए धुबरी जैसे संवेदनशील जिलों में सेना का स्थायी बेस स्थापित करने पर विचार किया जा रहा है।