पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य की ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ‘कर्मश्री’ का नाम बदलकर महात्मा गांधी के नाम पर रखने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि अगर केंद्र सरकार राष्ट्रपिता को सम्मान नहीं दे रही है, तो राज्य सरकार यह जिम्मेदारी निभाएगी।
एक बिजनेस एंड इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में बोलते हुए मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। बिना किसी दल का नाम लिए उन्होंने कहा कि कुछ राजनीतिक ताकतें देश के राष्ट्रीय प्रतीकों का सम्मान करने में असफल रही हैं। उन्होंने नरेगा से महात्मा गांधी का नाम हटाए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि अब देश राष्ट्रपिता को भी भुलाने की कोशिश कर रहा है।
ममता बनर्जी ने कहा कि राज्य सरकार अपनी ‘कर्मश्री’ योजना को अपने संसाधनों से चला रही है। वर्तमान में इस योजना के तहत लाभार्थियों को 75 दिनों का रोजगार दिया जा रहा है, जबकि आने वाले समय में इसे बढ़ाकर 100 दिन करने का लक्ष्य रखा गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केंद्रीय फंड मिलने या न मिलने से राज्य की योजनाएं प्रभावित नहीं होंगी और लोगों को रोजगार उपलब्ध कराया जाता रहेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल को लेकर कुछ लोग नकारात्मक छवि बनाने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि राज्य तेजी से बदल रहा है। उन्होंने कहा कि बंगाल अब विश्वस्तरीय निवेश गंतव्य बन चुका है और यहां उद्योगों के लिए अनुकूल माहौल है।
उन्होंने बताया कि राज्य में हाल ही में एमएसएमई सेक्टर को लेकर बड़ी बैठक हुई, जिसमें 15 हजार से अधिक उद्यमियों ने हिस्सा लिया। ममता बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल देश के प्रमुख लॉजिस्टिक्स हब में शामिल है और विश्व बैंक लॉजिस्टिक्स व निर्यात वृद्धि के लिए राज्य के साथ साझेदारी कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बंगाल दक्षिण-पूर्व एशिया, उत्तर-पूर्व भारत और पूर्वी भारत के साथ-साथ बांग्लादेश, भूटान और नेपाल के लिए प्रवेश द्वार की भूमिका निभा रहा है। साथ ही यह बिहार, झारखंड और ओडिशा जैसे राज्यों के लिए भी एक महत्वपूर्ण गेटवे है।