नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक ऐसे व्यक्ति पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया, जो बार-बार राजधानी में अवैध निर्माण के खिलाफ याचिकाएं दायर करता था, लेकिन उन्हें आगे नहीं बढ़ाता था। यह फैसला आरके पुरम क्षेत्र की पांचवीं याचिका की सुनवाई के दौरान आया।
जस्टिस मिनी पुष्करना ने कहा कि याचिकाकर्ता ने कई संपत्तियों के खिलाफ बार-बार याचिकाएं दायर की हैं, लेकिन उन्हें गंभीरता से आगे नहीं बढ़ाया। “यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता एक सीरियल लिटिगेंट है और वह न्यायालय की प्रक्रिया का निजी स्वार्थ के लिए दुरुपयोग कर रहा है,” कोर्ट ने कहा।
कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाएं केवल नेक इरादे और उचित उद्देश्य के लिए दायर की जानी चाहिए। बार-बार बिना वास्तविक कारण याचिका दायर करना न्याय व्यवस्था में विश्वास को कमजोर करता है और कोर्ट के समय का दुरुपयोग है।
दिल्ली नगर निगम (MCD) को भी कथित अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया। MCD के वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्होंने इस मामले की जांच पहले ही शुरू कर दी है। याचिकाकर्ता के वकील ने याचिका वापस लेने का अनुरोध किया, लेकिन कोर्ट ने जुर्माना 50 हजार रुपये लगाया और इसे चार सप्ताह के भीतर जमा करने का निर्देश दिया।
सीरियल लिटिगेंट क्या होता है
सीरियल लिटिगेंट वह व्यक्ति होता है जो बार-बार याचिकाएं या मुकदमे दायर करता है, लेकिन उन्हें आगे नहीं बढ़ाता। इसका उद्देश्य अक्सर कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग करना, दूसरों को परेशान करना या निजी स्वार्थ साधना होता है। इस मामले में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को इसी श्रेणी में रखा क्योंकि उन्होंने कई बार याचिकाएं दायर कीं, लेकिन उन्हें आगे नहीं बढ़ाया।