देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से जुड़े 51 कार्टन दस्तावेजों को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बीच नया विवाद शुरू हो गया है। यह मुद्दा तब उभरा जब भाजपा सांसद संबित पात्रा ने सोमवार को लोकसभा में संस्कृति मंत्रालय से प्रश्न किया कि क्या नेहरू से संबंधित दस्तावेज गायब हैं या अवैध रूप से हटाए गए हैं।

मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि किसी भी दस्तावेज का लापता होना सत्य नहीं है। केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने बताया कि ये पेपर्स 2008 में नेहरू परिवार द्वारा पीएमएमएल (प्रधानमंत्री म्यूजियम एंड लाइब्रेरी) से औपचारिक रूप से वापस ले लिए गए थे। मंत्रालय ने कहा कि दस्तावेज़ “लापता” नहीं हैं, बल्कि उनकी स्थिति परिवार के पास है और इस बात की जानकारी और कैटलॉग पीएमएमएल के पास मौजूद है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने इस जवाब का स्वागत करते हुए स्क्रीनशॉट साझा किए और सवाल किया कि क्या इसके लिए माफी मांगी जाएगी।

पीएमएमएल अब इन दस्तावेजों की वापसी के लिए सोनिया गांधी से संपर्क कर रहा है, लेकिन परिवार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। विशेषज्ञों और नागरिकों का कहना है कि नेहरू के जीवन और उनके कार्यकाल से जुड़े ये दस्तावेज़ राष्ट्रीय महत्व के हैं और इन्हें सार्वजनिक अभिलेखागार में रखा जाना चाहिए।

विशेषज्ञों का मानना है कि दस्तावेज़ों को जनता और शोधकर्ताओं के लिए उपलब्ध कराना पारदर्शिता और लोकतंत्र की मूल भावना को बनाए रखना है। इस संदर्भ में सोनिया गांधी और गांधी परिवार से जवाब की प्रतीक्षा की जा रही है।