संसद में विपक्ष के शोरगुल के बीच केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ‘विकसित भारत’ से जुड़े जी-राम-जी विधेयक पर सरकार की ओर से विस्तृत जवाब दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष सरकार का पक्ष सुनने को तैयार नहीं है और केवल विरोध के लिए विरोध कर रहा है। मंत्री ने सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान धन का दुरुपयोग हुआ, जबकि वर्तमान सरकार ने विकास कार्यों और जनकल्याण पर खर्च को प्राथमिकता दी है।

शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह विधेयक किसानों, गरीबों और ग्रामीण भारत के हितों को ध्यान में रखकर लाया गया है, लेकिन इसके बावजूद इसका विरोध किया जा रहा है। उन्होंने सदन में कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी पक्षों को अपनी बात रखने और जवाब सुनने का अधिकार है। केवल अपनी बात रखकर जवाब न सुनना लोकतांत्रिक मर्यादाओं के खिलाफ है।

गांधी के आदर्शों का किया उल्लेख

कृषि मंत्री ने अपने संबोधन में महात्मा गांधी के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी ने गांधी के सामाजिक और आर्थिक दर्शन को अपनी नीतियों में शामिल किया है। उन्होंने कहा कि गांधी जी मानते थे कि गांव भारत की आत्मा हैं और ग्रामीण विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है। मंत्री के अनुसार, यह विधेयक गांवों को सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम है।

भेदभाव के आरोपों को किया खारिज

विपक्ष द्वारा लगाए गए भेदभाव के आरोपों पर जवाब देते हुए शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सरकार किसी भी राज्य के साथ पक्षपात नहीं करती। उन्होंने कहा कि सरकार के लिए पूरा देश एक समान है, चाहे वह चेन्नई हो या गुवाहाटी। इस संदर्भ में उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कथन का भी उल्लेख किया।

कांग्रेस पर लगाए आरोप

कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकार किसी सनक से नहीं, बल्कि नीति और उद्देश्य के साथ काम कर रही है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि पूर्व की सरकारों में योजनाओं और संस्थानों के नाम एक ही परिवार के नाम पर रखे गए। मंत्री ने दावा किया कि बड़ी संख्या में योजनाएं, संस्थान, सड़कें और पुरस्कार नेहरू परिवार के सदस्यों के नाम पर किए गए, जबकि मौजूदा सरकार राष्ट्रव्यापी दृष्टिकोण के साथ काम कर रही है।