कोलकाता। पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर चल रहे विवाद के बीच कलकत्ता हाईकोर्ट ने अहम निर्देश जारी किए हैं। अदालत ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) से कहा है कि वह एक याचिका पर विचार कर तर्कसहित आदेश पारित करें, जिसमें एसआईआर प्रक्रिया के दौरान अवैध ओबीसी प्रमाणपत्रों को मान्य दस्तावेज के रूप में स्वीकार न करने की मांग की गई है।
इस मामले में याचिकाकर्ता अरिजीत बक्शी ने अदालत को अवगत कराया कि मई 2024 में हाईकोर्ट ने 77 वर्गों से संबंधित ओबीसी प्रमाणपत्रों को रद्द कर दिया था। उनका कहना था कि इसके बावजूद एसआईआर प्रक्रिया में ऐसे प्रमाणपत्रों के उपयोग की आशंका बनी हुई है, इसलिए निर्वाचन आयोग को स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए कि केवल वैध ओबीसी प्रमाणपत्रों को ही स्वीकार किया जाए।
एक सप्ताह में देना होगा निर्णय
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति कृष्णा राव ने मुख्य निर्वाचन अधिकारी को आदेश की प्रति मिलने के एक सप्ताह के भीतर याचिका पर विचार कर कारणों सहित निर्णय लेने को कहा। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन लोगों ने पहले ही ओबीसी श्रेणी के तहत सरकारी सेवाओं में लाभ प्राप्त किया है या किसी चयन प्रक्रिया में सफल रहे हैं, उनके अधिकार इस आदेश से प्रभावित नहीं होंगे।
उल्लेखनीय है कि मई 2024 में हाईकोर्ट की एक खंडपीठ ने वर्ष 2010 के बाद कई वर्गों को दिए गए ओबीसी दर्जे को निरस्त कर दिया था, जिसके बाद यह विवाद और गहराया।
चुनाव आयोग से की गई अपील
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने चुनाव आयोग से आग्रह किया कि एसआईआर के दौरान केवल वैध और कानूनी रूप से मान्य ओबीसी प्रमाणपत्रों को ही दस्तावेज के तौर पर स्वीकार किया जाए तथा रद्द किए गए प्रमाणपत्रों को मान्यता न दी जाए। वहीं आयोग की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि एसआईआर की वैधता से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए फिलहाल कोई निर्देश न दिए जाएं।
इस पर न्यायमूर्ति राव ने कहा कि याचिका एसआईआर प्रक्रिया को चुनौती नहीं देती, बल्कि आयोग से प्राप्त शिकायत पर विचार कर निर्णय देने का अनुरोध करती है।