मुंबई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को मुंबई में बढ़ते वायु प्रदूषण के मुद्दे पर बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) को कड़ी फटकार लगाई। चीफ जस्टिस श्री चंद्रशेखर और जस्टिस गौतम अंखड़ की बेंच ने सवाल किया कि कैसे मुंबई जैसे सीमित भौगोलिक क्षेत्र वाले शहर में बीएमसी ने एक साथ 125 से अधिक बड़े निर्माण प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी, जिनकी कुल लागत 1,000 करोड़ रुपये से अधिक है।

अदालत ने चेतावनी दी कि यदि शहर में वायु गुणवत्ता की स्थिति बिगड़ी रही, तो वह भविष्य में निर्माण अनुमतियों पर रोक लगाने के आदेश भी जारी कर सकती है। बेंच ने कहा, "इतने छोटे शहर में इतने बड़े प्रोजेक्ट्स की मंजूरी देना बहुत अधिक है। यह आपके नियंत्रण से बाहर हो चुका है।"

चुनाव ड्यूटी का बहाना कोर्ट ने खारिज किया

सुनवाई के दौरान अदालत ने नाराजगी जताई कि बीएमसी के 91 विशेष दस्ते निर्माण स्थलों का निरीक्षण नहीं कर रहे थे। बीएमसी के वकील ने दलील दी कि अधिकारी चुनाव ड्यूटी में व्यस्त हैं। अदालत ने इसे खारिज करते हुए कहा कि चुनाव ड्यूटी कोई बहाना नहीं हो सकता और बीएमसी इस लिए चुनाव आयोग से विशेष अनुमति मांग सकती थी।

रोकथाम पर जोर

कोर्ट ने बीएमसी से कहा कि उनका सिस्टम 'रोकथाम' (Preventive) केंद्रित होना चाहिए, न कि केवल 'उपचार' (Curative) पर। बेंच ने टिप्पणी की कि बीएमसी के पास पर्याप्त शक्तियां होने के बावजूद कोई ठोस कार्यान्वयन योजना नहीं है और न्यूनतम आवश्यक कदम भी सही तरीके से नहीं उठाए जा रहे हैं।

बीएमसी के कामदार ने अदालत को बताया कि बुधवार को शहर का AQI 88 था, जो संतोषजनक श्रेणी में आता है, और पिछले वर्ष स्थिति ज्यादा खराब थी। अदालत ने कहा कि केवल यह कहना कि प्रदूषण कम हुआ है, यह साबित नहीं करता कि बीएमसी ने प्रभावी कदम उठाए।

अगली सुनवाई 20 जनवरी को

अदालत ने पूछा कि बीएमसी अगले दो हफ्तों में क्या कार्रवाई करेगी। इस पर कमिश्नर भूषण गागरानी ने कहा कि दस्ते हर दिन कम से कम दो निर्माण स्थलों का निरीक्षण करेंगे और आवश्यक कार्रवाई करेंगे। अदालत ने सुझाव दिया कि निरीक्षण दस्तों को बटन कैमरे और जीपीएस डिवाइस दिए जाएं ताकि पारदर्शिता सुनिश्चित हो।

यह सुनवाई शहर में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर हो रही थी। मामले की अगली सुनवाई अब 20 जनवरी को होगी।