भुवनेश्वर। वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनु गर्ग को ओडिशा की नई मुख्य सचिव नियुक्त किया गया है। वह नए वर्ष से राज्य के सर्वोच्च प्रशासनिक पद का दायित्व संभालेंगी। इस नियुक्ति के साथ ही अनु गर्ग ओडिशा के इतिहास में मुख्य सचिव बनने वाली पहली महिला अधिकारी बन जाएंगी।
वर्ष 1991 बैच की आईएएस अधिकारी अनु गर्ग वर्तमान मुख्य सचिव मनोज आहूजा का स्थान लेंगी, जिनका कार्यकाल 31 दिसंबर को समाप्त हो रहा है। उनकी नियुक्ति को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग ने आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है। फिलहाल अनु गर्ग विकास आयुक्त-सह-अपर मुख्य सचिव के पद पर कार्यरत हैं।
प्रशासनिक हलकों में माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के नेतृत्व वाली सरकार ने इस निर्णय के माध्यम से शासन व्यवस्था में महिला नेतृत्व को प्रोत्साहित करने का स्पष्ट संकेत दिया है।
अनु गर्ग का जन्म 1 मार्च 1969 को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में हुआ। उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त की है, जबकि अमेरिका के जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ से मास्टर ऑफ पब्लिक हेल्थ की डिग्री भी हासिल की है।
अपने लंबे प्रशासनिक करियर में उन्होंने राज्य और केंद्र, दोनों स्तरों पर अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया है। इसके अलावा वस्त्र मंत्रालय तथा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय में भी संयुक्त सचिव पद पर सेवाएं दे चुकी हैं।
राज्य स्तर पर उनकी प्रशासनिक यात्रा वर्ष 1993 में झारसुगुड़ा में उप-जिलाधिकारी के रूप में शुरू हुई। इसके बाद वह कालाहांडी में उप-जिलाधिकारी और अतिरिक्त जिलाधिकारी, बरगढ़ और संबलपुर में जिलाधिकारी के रूप में तैनात रहीं। दिल्ली में उन्होंने ओडिशा की उप-आवासीय आयुक्त की जिम्मेदारी भी संभाली।
इसके अतिरिक्त, वह वर्ष 2000 से 2002 तक आईसीडीएस निदेशक, 2002 से 2003 तक राज्य स्वास्थ्य निदेशक और 2005 में केंद्रीय स्वास्थ्य निदेशक के पद पर भी कार्य कर चुकी हैं। महिला एवं शिशु विकास विभाग की सचिव के रूप में भी उनके कार्यकाल को प्रभावशाली माना जाता है।
उल्लेखनीय है कि उनके पति सौरभ गर्ग वर्तमान में केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं। सामाजिक और स्वास्थ्य क्षेत्र में उनके व्यापक अनुभव, प्रशासनिक दक्षता और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए अनु गर्ग को लंबे समय से मुख्य सचिव पद की मजबूत दावेदार माना जा रहा था। उनकी नियुक्ति को ओडिशा प्रशासन के लिए एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।