केंद्र सरकार ने इंडिगो एयरलाइंस की ओर से 1 नवंबर से लागू हुए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों के पालन में कथित लापरवाही की जांच शुरू कर दी है। आरोप है कि एयरलाइन ने नियमों के कार्यान्वयन की तैयारी करने के बजाय हफ्तों तक ढील और छूट की मांग में समय गंवाया, जिसके कारण देशभर में उड़ानों में बड़े पैमाने पर रद्दीकरण और देरी हुई।

सरकार ने चार सदस्यीय समिति गठित की है, जो यह जांच करेगी कि क्या क्रू और पायलटों की तैनाती नियमों के अनुसार नहीं की गई। समिति अक्टूबर के अंत तक DGCA के साथ इंडिगो की बातचीत की समीक्षा करेगी, यह पता लगाने के लिए कि एयरलाइन ने रात की लैंडिंग सीमाओं जैसे नियमों में ढील या स्थगन का प्रयास किया या नहीं।

इसके अलावा नए नियमों के तहत जेप्पेसन क्रू रोस्टरिंग सॉफ्टवेयर का अपडेट अनिवार्य था। जांच यह भी देखेगी कि क्या इंडिगो ने इस अपडेट में देरी इसलिए की क्योंकि वह नियामकीय राहत चाह रहा था। एयरलाइन ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।

सरकार DGCA की भूमिका पर भी सवाल उठा रही है कि कोर्ट के निर्देशों के बावजूद समयबद्ध कार्यान्वयन सुनिश्चित करने में एजेंसी ने इंडिगो के अनुरोधों को किस प्रकार संभाला। दावा है कि अन्य एयरलाइनों ने समय पर अपनी तैयारी रिपोर्ट सौंप दी, जबकि इंडिगो ऐसा नहीं कर सकी।

पायलटों का कहना है कि नए नियम सुरक्षा और पर्याप्त विश्राम सुनिश्चित करने के लिए जरूरी हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि नियमों को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए। पायलटों का मानना है कि अतिरिक्त आराम घंटे के बदले भुगतान वाली छुट्टियां काटना नियम की भावना के खिलाफ है।

इंडिगो ने रविवार तक अपनी 75% उड़ानें बहाल कर दी हैं और अब तक 1,650 उड़ानें संचालन में लौटाई हैं। सामान्य औसत 2,200 उड़ानें है। एयरलाइन ने बताया कि 10 दिसंबर तक स्थिति पूरी तरह सामान्य हो जाएगी और अब तक यात्रियों को ₹610 करोड़ का रिफंड जारी किया जा चुका है।

केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने कहा कि पर्याप्त समय होने के बावजूद एयरलाइन नियमों का पालन करने में विफल रही। उन्होंने बताया कि इंडिगो के सीईओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। विमानन मंत्री के राममोहन नायडू ने राज्यसभा में कहा कि सरकार ने बड़े पैमाने पर उड़ान रद्द होने की जांच शुरू कर दी है और इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी ताकि अन्य एयरलाइनों के लिए एक उदाहरण स्थापित किया जा सके।

नायडू ने कहा कि हम इस स्थिति को हल्के में नहीं ले रहे और क्रू तथा ड्यूटी रोस्टर प्रबंधन में हुई चूक की पूरी जांच कर रहे हैं। सरकार इस मामले में न केवल सुधार चाहती है, बल्कि एक सख्त संदेश भी देना चाहती है।