नई दिल्ली: संसद में वंदे मातरम् के 150 साल पूरे होने पर विशेष चर्चा हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में इसका उद्घाटन किया और इस दौरान देश के स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आपातकाल तक की घटनाओं का ज़िक्र करते हुए वंदे मातरम्  के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कांग्रेस पर भी वंदे मातरम की उपेक्षा के लिए निशाना साधा।

प्रधानमंत्री ने कहा, "जिस जयघोष ने देश के स्वतंत्रता आंदोलन को प्रेरणा दी और त्याग व तपस्या का मार्ग दिखाया, उसी वंदे मातरम्  का स्मरण करना इस सदन के लिए गर्व की बात है। 150 वर्षों की इस यात्रा का साक्षी बनना हम सभी के लिए विशेष अवसर है।"

पीएम मोदी ने वंदे मातरम्  की ऐतिहासिक यात्रा का उल्लेख करते हुए कहा कि जब यह 50 साल का हुआ, तब देश गुलामी के अंधकार में था। 100 वर्ष की वर्षगांठ पर देश आपातकाल जैसी कठिन परिस्थितियों से जूझ रहा था और देशभक्तों को जेल की सलाखों के पीछे रखा गया था। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अवसर हमें उस गौरव को पुनः याद करने का मौका देता है जिसने 1947 में देश को आज़ादी दिलाई।

प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम्  केवल राजनीतिक नारा नहीं था, बल्कि यह स्वतंत्रता की लड़ाई और मातृभूमि को मुक्त कराने का प्रतीक था। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित यह गीत देशभर के लोगों के लिए संकल्प और प्रेरणा बन गया।

उन्होंने बंगाल विभाजन और अंग्रेजों की ‘बांटो और राज करो’ नीति का उल्लेख करते हुए बताया कि वंदे मातरम ने उस दौर में देशवासियों को एकजुट रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ब्रिटिश शासन ने बारिसाल और अन्य क्षेत्रों में वंदे मातरम्  पर प्रतिबंध लगाया, लेकिन देश की महिलाओं और बच्चों ने इस नारे के लिए अदम्य साहस दिखाया। प्रधानमंत्री ने बारिसाल की वीरांगना सरोजिनी बोस और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का उदाहरण देते हुए कहा कि उनके संघर्ष ने वंदे मातरम् को केवल गीत नहीं, बल्कि आजादी की प्रेरणा बना दिया।

साथ ही, प्रधानमंत्री ने मैडम भीकाजी कामा द्वारा पेरिस में प्रकाशित वंदे मातरम अखबार और वी.ओ. चिदंबरम पिल्लै द्वारा स्वदेशी जहाज पर लिखा गया वंदे मातरम्, तथा राष्ट्रकवि सुब्रमण्यम भारती द्वारा तमिल में अनुवादित वंदे मातरम्  का जिक्र करते हुए इसके देशभर में फैलाव और महत्व को उजागर किया।