राजधानी में हवा का रुख बदलने के बाद प्रदूषण की रफ्तार कुछ थमी, लेकिन इसके बावजूद रविवार की सुबह धुंध और हल्के कोहरे के बीच शुरू हुई। आसमान पर स्मॉग की हल्की परत तैरती रही, जिससे दृश्यता प्रभावित हुई। कई लोग मास्क पहनकर बाहर निकले, वहीं सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों को अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
रविवार को राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 308 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। शनिवार की तुलना में इसमें 22 अंकों की गिरावट देखी गई। एनसीआर में सबसे खराब स्थिति नोएडा में रही, जहां AQI 317 पहुंच गया। गाजियाबाद में यह 315, ग्रेटर नोएडा में 290 और गुरुग्राम में 273 दर्ज किया गया। इसके उलट, फरीदाबाद की हवा अपेक्षाकृत साफ रही और यहां सूचकांक 199 दर्ज हुआ, जो 'संतोषजनक' श्रेणी में है।
निर्णय सहायता प्रणाली के आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी के प्रदूषण में वाहनों का योगदान करीब 16.59 फीसदी रहा। वहीं, सड़क की धूल से 1.20 फीसदी, निर्माण कार्यों से 2.31 फीसदी, आवासीय गतिविधियों से 4.05 फीसदी और पेरिफेरल उद्योगों से 8.108 फीसदी प्रदूषण दर्ज हुआ।
सीपीसीबी के अनुसार, शनिवार को हवा पश्चिमी दिशा से औसतन 10 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चली। अधिकतम मिश्रण गहराई 850 मीटर दर्ज की गई, जबकि वेंटिलेशन इंडेक्स 6000 मीटर प्रति वर्ग सेकंड रहा। दोपहर तीन बजे पीएम10 का स्तर 240 और पीएम2.5 का स्तर 133.1 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पाया गया।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का अनुमान है कि बुधवार तक राजधानी में हवा की गुणवत्ता ‘बेहद खराब’ श्रेणी में बनी रह सकती है। विशेषज्ञों के अनुसार, इस अवधि में सांस के मरीजों को परेशानी बढ़ सकती है और लोगों को आंखों में जलन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। कई इलाकों में हवा गंभीर से लेकर बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई है।