सेवानिवृत्ति के बाद समय पर सरकारी आवास खाली करूंगा: सीजेआई गवई

भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस बी. आर. गवई ने गुरुवार को कहा कि उनके पास पर्याप्त समय नहीं है कि वे 24 नवंबर को सेवानिवृत्त होने से पहले कोई उपयुक्त आवास ढूंढ सकें। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि वे तय नियमों के अनुसार निर्धारित समयसीमा में सरकारी आवास खाली कर देंगे।

यह बात उन्होंने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) द्वारा आयोजित समारोह में कही, जहां वह 9 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया को विदाई देने पहुंचे थे। उन्होंने जस्टिस धूलिया को न्यायपालिका के प्रति समर्पित एक संवेदनशील और विनम्र व्यक्ति बताया।

जस्टिस धूलिया सेवानिवृत्ति के अगले दिन छोड़ेंगे आवास
कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के न्यायाधीशों और वरिष्ठ अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए सीजेआई गवई ने कहा कि जस्टिस धूलिया सेवा से निवृत्त होने के अगले ही दिन अपना सरकारी आवास खाली कर देंगे। उन्होंने कहा, “वह उन दुर्लभ न्यायाधीशों में से हैं जो समय की पूरी मर्यादा का पालन करते हैं।”

पूर्व CJI चंद्रचूड़ को लेकर उठे थे सवाल
सीजेआई गवई की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब कुछ सप्ताह पहले सुप्रीम कोर्ट प्रशासन ने केंद्र को पत्र लिखकर पूर्व मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ द्वारा तय अवधि से अधिक समय तक सरकारी आवास में रहने की जानकारी दी थी। हालांकि उन्होंने बाद में वह आवास छोड़ दिया था।

न्यायमूर्ति धूलिया ने पेश की अनुकरणीय मिसाल
सीजेआई गवई ने खुद की स्थिति साझा करते हुए कहा, “काश मैं भी जस्टिस धूलिया की तरह अपनी सेवानिवृत्ति के अगले दिन ही आवास खाली कर पाता। लेकिन मुझे लगता है कि उपयुक्त घर खोजने का समय नहीं मिलेगा। फिर भी मैं आश्वस्त करता हूं कि नियमों के अनुसार तय समय से पहले ही आवास खाली कर दूंगा।”

महत्वपूर्ण फैसलों में रहा जस्टिस धूलिया का योगदान
जस्टिस सुधांशु धूलिया सुप्रीम कोर्ट के कई चर्चित मामलों का हिस्सा रहे। कर्नाटक के हिजाब प्रतिबंध मामले में उन्होंने बहुमत से असहमति जताई थी और कहा था कि शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने पर कोई पाबंदी नहीं होनी चाहिए। उन्होंने साफ किया था कि वह हिजाब का नहीं, बल्कि महिलाओं के हिजाब पहनने के विकल्प की स्वतंत्रता का समर्थन कर रहे हैं।

अप्रैल में, उन्होंने एक फैसले में उर्दू भाषा को भारत की गंगा-जमुनी तहजीब का प्रतीक बताया और कहा था कि इस भाषा का जन्म इसी मिट्टी पर हुआ है।

न्यायमूर्ति धूलिया का परिचय
10 अगस्त 1960 को जन्मे जस्टिस धूलिया ने देहरादून, इलाहाबाद और लखनऊ में शिक्षा प्राप्त की। 1 नवंबर 2008 को वह उत्तराखंड हाईकोर्ट में स्थायी न्यायाधीश बने। बाद में 10 जनवरी 2021 को उन्हें गुवाहाटी हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया और फिर 9 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति मिली।

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