अमेरिका के नेतृत्व में सुरक्षित और नवाचार आधारित सिलिकॉन आपूर्ति श्रृंखला बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई नई रणनीतिक पहल ‘पैक्स सिलिका’ में भारत को शामिल नहीं किए जाने पर सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस ने इस मुद्दे पर शनिवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को घेरते हुए सवाल उठाए और इसे भारत के लिए चूका हुआ अवसर करार दिया।
कांग्रेस का कहना है कि भारत का इस अमेरिकी पहल से बाहर रहना चौंकाने वाला नहीं है, क्योंकि हाल के महीनों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबंधों में स्पष्ट ठंडापन आया है। पार्टी के अनुसार, यदि भारत इस समूह का हिस्सा होता तो उसे तकनीक, निवेश और आपूर्ति श्रृंखला के लिहाज से ठोस लाभ मिल सकता था।
कांग्रेस महासचिव (संचार) जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि भारत के बाहर रहने की खबर ऐसे समय सामने आई है, जब प्रधानमंत्री सोशल मीडिया पर अमेरिका के राष्ट्रपति के साथ हुई टेलीफोन बातचीत को उत्साहपूर्वक साझा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक मित्रता के दावों और वैश्विक रणनीतिक मंचों पर हकीकत के बीच बड़ा अंतर दिख रहा है।
जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए बताया कि चीन पर हाई-टेक आपूर्ति श्रृंखलाओं की निर्भरता कम करने के उद्देश्य से अमेरिका ने नौ देशों के साथ मिलकर ‘पैक्स सिलिका’ पहल शुरू की है। इस समूह में अमेरिका के अलावा जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, नीदरलैंड, ब्रिटेन, इज़राइल, संयुक्त अरब अमीरात और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि 10 मई 2025 के बाद ट्रंप-मोदी संबंधों में आई गिरावट के मद्देनजर भारत का इस पहल से बाहर रहना अप्रत्याशित नहीं है, लेकिन यह देश के हित में नहीं है। कांग्रेस के मुताबिक, इस मंच में शामिल होना भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक दोनों दृष्टि से लाभकारी साबित हो सकता था।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के अनुसार, ‘पैक्स सिलिका’ का उद्देश्य सिलिकॉन और उससे जुड़ी अहम आपूर्ति पर निर्भरता घटाना, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उभरती तकनीकों के लिए आवश्यक संसाधनों और क्षमताओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना और सदस्य देशों को भविष्य की परिवर्तनकारी तकनीकों के विकास व उपयोग के लिए सक्षम बनाना है।