नई दिल्ली। अंतरराष्ट्रीय हालात में बढ़ते तनावों के बीच भारत और रूस की ‘विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी’ को नई गति मिली है। शुक्रवार को हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात ने द्विपक्षीय रिश्तों को आर्थिक और सामरिक दोनों स्तरों पर नई दिशा दी।

23वें भारत-रूस वार्षिक सम्मेलन के बाद जारी संयुक्त बयान और विदेश मंत्रालय की ब्रीफिंग ने स्पष्ट किया कि अब दोनों देश रक्षा सहयोग से आगे बढ़कर आर्थिक संबंधों को मजबूत करने पर खास जोर दे रहे हैं।

व्यापार 2030 तक 100 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य

दोनों नेताओं ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। रूस ने भारतीय श्रमिकों की मांग के अनुरूप स्किल्ड मैनपावर ट्रेनिंग में सहयोग का संकेत दिया, वहीं राष्ट्रपति पुतिन ने भारत को निर्बाध तेल और गैस आपूर्ति जारी रखने का भरोसा भी दिया।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वैश्विक मंचों पर आतंकवाद के खिलाफ लगातार उठाई जा रही चिंता को भी पुतिन का समर्थन मिला। भारत और रूस ने संयुक्त रूप से वैश्विक समुदाय से हर प्रकार के आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति अपनाने की अपील की।

पुतिन का भारत दौरा और द्विपक्षीय वार्ता

चार दिसंबर को नई दिल्ली पहुंचे राष्ट्रपति पुतिन ने 5 दिसंबर की सुबह राजघाट पर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी। इसके बाद राष्ट्रपति भवन में उन्हें औपचारिक स्वागत दिया गया। हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मोदी के साथ लगभग ढाई घंटे तक द्विस्तरीय वार्ता चली।

इससे एक दिन पहले प्रधानमंत्री निवास पर दोनों नेताओं के बीच रात्रिभोज के दौरान भी लंबी चर्चा हुई थी। संयुक्त प्रेस वार्ता में पीएम मोदी ने कहा कि ‘‘बीते वर्षों में कई वैश्विक संकटों के बावजूद भारत-रूस मित्रता एक ध्रुव तारे की तरह स्थिर रही है।’’

उन्होंने बताया कि 2030 तक के लिए तैयार किया गया आर्थिक सहयोग कार्यक्रम व्यापार और निवेश को अधिक विविध और संतुलित बनाएगा।

राष्ट्रपति पुतिन ने भी भारत की तेजी से बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए रूस की प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन तथा भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौता दोनों के लिए लाभकारी होगा।

आतंकवाद पर कड़ा रुख

संयुक्त बयान में पहलगाम और मॉस्को के क्रोकस सिटी हॉल पर हुए आतंकी हमलों की कड़ी निंदा की गई। दोनों देशों ने बिना किसी भेदभाव के वैश्विक आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ संगठित कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया।

16 समझौते और चार घोषणाएं

सम्मेलन के दौरान भारत और रूस के बीच 16 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। इनमें दो प्रमुख समझौते श्रमिकों की वैध आवाजाही और अवैध प्रवास रोकथाम से जुड़े हैं। इससे रूस की आवश्यकताओं के अनुरूप भारत से प्रशिक्षित श्रमिकों को भेजने का रास्ता साफ होगा। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने बताया कि रूस के आईटी और अन्य क्षेत्रों में भारतीय विशेषज्ञों की मांग लगातार बढ़ रही है।

एक अन्य महत्वपूर्ण समझौता भारतीय कंपनी नेशनल केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स और रूस की जेएसजी ऊरलकेम के बीच हुआ है, जिसके तहत भारत रूस में उर्वरक संयंत्र स्थापित करेगा।

इसके अलावा, सीमा शुल्क विभागों के बीच त्वरित सूचना साझा करने पर भी सहमति बनी है, ताकि बढ़ते व्यापार में किसी तरह की बाधा न आए। रक्षा सहयोग पर उच्च-स्तरीय वार्ता हुई, हालांकि किसी नए सैन्य हथियार या मिसाइल खरीद को लेकर औपचारिक घोषणा नहीं की गई।

दोनों देशों के रक्षा मंत्रालयों के बीच गुरुवार को विस्तृत बातचीत हो चुकी है, और सामरिक सौदों पर दोनों पक्ष गोपनीयता बनाए हुए हैं।