भारतीय सेना की हथियार प्रणाली में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। दशकों पुरानी स्टर्लिंग सब-मशीन गन की जगह अब आधुनिक क्लोज क्वार्टर बैटल (CQB) कार्बाइन लेने वाली है। सेना ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) और भारत फोर्ज लिमिटेड को इस नई कार्बाइन के निर्माण का ठेका दिया है। अनुमानित 2,000 करोड़ रुपये की लागत वाले इस अनुबंध के तहत दोनों कंपनियों को प्रतिस्पर्धी निविदा प्रक्रिया में सबसे कम बोली लगाने वाली संस्था (L1) के रूप में चुना गया है।

इस नई कार्बाइन को DRDO की पुणे स्थित आयुध अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (ARDE) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है, जबकि इसका निर्माण भारत फोर्ज की पुणे स्थित सहायक कंपनी, कल्याणी स्ट्रैटेजिक सिस्टम्स लिमिटेड द्वारा किया जाएगा। यह करार भारत में स्वदेशी रूप से विकसित और निर्मित हथियार प्रणालियों में अब तक के सबसे बड़े सौदों में से एक माना जा रहा है।

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स्टर्लिंग गन की विदाई

सेना में फिलहाल उपयोग में ली जा रही स्टर्लिंग कार्बाइन को 1940 के दशक में डिजाइन किया गया था और यह वर्तमान युद्ध परिदृश्यों की आवश्यकताओं पर खरी नहीं उतरती। लंबे समय से इस हथियार को बदलने की योजना पर काम चल रहा था। अब DRDO और भारत फोर्ज के संयुक्त प्रयास से तैयार की गई नई कार्बाइन इस आवश्यकता को पूरा करेगी।

नई कार्बाइन की प्रमुख खूबियां

5.56x45 मिमी की यह CQB कार्बाइन हल्की है और शहरी या नजदीकी मुठभेड़ों में सटीकता के साथ जवाब देने में सक्षम है। इसमें आधुनिक तकनीक से लैस उपकरण—जैसे ऑप्टिक्स, लेजर डिजाइनर और अन्य सहायक सिस्टम—शामिल किए गए हैं, जिससे सैनिकों को ज्यादा कुशलता से लक्ष्य भेदने में मदद मिलेगी।

इस सौदे के तहत DRDO और भारत फोर्ज ने न केवल सभी तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा किया, बल्कि प्रतिस्पर्धी कीमत भी पेश की, जिससे उन्हें यह रणनीतिक अनुबंध मिला।

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