तमीम बिन हमद अल थानी कतर के अमीर हैं. अमीर यानी पश्चिम एशिया के इस छोटे मगर बेहद महत्त्वपूर्ण देश के मुखिया. कतर क्षेत्रफल के लिहाज से भारत के उत्तर पूर्वी राज्य त्रिपुरा से थोड़ा ही बड़ा होगा. आबादी महज 29 लाख. और उसमें भी वहां के मूल निवासी 4 लाख से भी कम. मगर ताकत ऐसी की एक साथ पूरब-पश्चिम के किसी भी देश या संगठन को साध ले. ऐसे कतर के राष्ट्राध्यक्ष अल थानी, जो 2013 से तख्तनशीं हैं, दो दिन के आधिकारिक दौरे पर दिल्ली आए हुए हैं. सोमवार की शाम (17 फरवरी) को जब वे नई दिल्ली के इंदिरा गांधी हवाई अड्डे उतरे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रोटोकॉल तोड़ उनकी अगवानी के लिए खड़े नज़र आए. ये अपने आप में बड़ी बात थी. क्योंकि पिछले दस साल में मोदी कुछ ही चुनिंदा नेताओं के भारत यात्रा पर उनके स्वागत के लिए खुद एयरपोर्ट गए. जिन 8 लोगों को रिसीव करने पीएम मोदी अब तक खुद एयरपोर्ट गए, उनमें से 5 मुस्लिम देशों के राष्ट्राध्यक्ष रहे. यूएई के शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान की दो यात्राओं में मोदी उनके लेने एयरपोर्ट तक गए. इस स्टोरी में ऐसी ही कुछ मौकों का जिक्र है.

1. अमेरिका, बराक ओबामा, सात दशक

साल 2015. जनवरी का महीना. अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा तीन दिन के दौरे पर पर पत्नी मिशेल ओबामा के साथ भारत आने वाले थे. मौका भारत के 66वें गणतंत्र दिवस समारोह का था. पहली दफा भारत की सरकार ने अमेरिका के राष्ट्रपति को शपथ ग्रहण समारोह के लिए आमंत्रित किया था था. भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों में किस तरह का उतार-चढ़ाव रहा है, इसका अंदाजा यूं भी लगाया जाना चाहिए कि नई दिल्ली को अमेरिका के राष्ट्रपति को अपने गणतंत्र दिवस का महमान बनाने में सात दशक लग गए. बहरहाल, दिल्ली के पालम एयरफोर्स हवाई अड्डे पर जब ओबामा का जहाज उतरा तो भारत के नए नवेले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां खड़े थे. ये भी प्रोटोकॉल से हटकर की गई नरेंद्र मोदी की पहली अगवानी थी.

2. यूएई, शेख मोहम्मद, दो बार अगवानी

फरवरी 2016. अबुधाबी के क्राउन प्रिंस और यूएई (संयुक्त अरब अमीरात) की सेना के डिप्टी सुप्रीम कमांडर शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयान तीन दिन के दौरे पर जब भारत आए तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एयरपोर्ट पहुंचकर खुद उनका स्वागत किया था. इन्हीं, शेख मोहम्मद बिन जायद की दूसरी राजकीय यात्रा एक साल के भीतर हुई. जनवरी 2017 के गणतंत्र दिवसर समारोह के लिए भारत ने यूएई के क्राउन प्रिंस को बुलाया और तब जब यही शेख मोहम्मद आए तो प्रधानमंत्री मोदी लगातार दूसरी बार उनकी अगवानी के लिए खड़े नजर आए. मोदी सरकार के दौरान खाड़ी के देशों खासकर यूएई से संबंध मजबूत करने के कई प्रयास दिखे. प्रधानमंत्री बनने के बाद के शुरूआती दिनों ही में मोदी अगस्त 2015 में यूएई गए. ये 34 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यूएई की यात्रा थी. तभी दोनों देशों के संबंधों में एक व्यापक रणनीतिक साझेदारी पर सहमति बनी थी. खाड़ी के देशों में सऊदी अरब के बाद सबसे ज्यादा भारतीय यूएई ही में रहते हैं. खाड़ी के ये सभी देश भारत में विदेशी मुद्रा के स्त्रोत भी हैं. चीन, अमेरिका के बाद यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार भी है.

3. बांग्लादेश, शेख हसीना, मौजूदा स्थिति

अप्रैल 2017 था वो. बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना भारत के दौरे पर दिल्ली आ रही थीं. अपनी खर्चीली यात्राओं और वीआईपी व्यवस्थाओं के लिए विपक्ष की आलोचना झेलने वाले नरेंद्र मोदी के बारे में आज के वक्त में लोगों को बताएं तो ताज्जुब होगा मगर उस दिन वे सामान्य ट्रैफिक नियमों का पालन करते हुए, अपने काफिले को हर ट्रैफिक सिग्नल पर रोकते हुए, वीआईपी प्रोटकॉल से इतर इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचे थे और शेख हसीना का स्वागत किया. ये स्वागत भी ओबामा, शेख मोहम्मद की तरह प्रोटोकॉल से हटकर था. खैर, वो साल दूसरा था. ये साल दूसरा है. शेख हसीना अब प्रधानमंत्री नहीं हैं. बांग्लादेश में उनका तख्ता उलटने के बाद वह भारत में शरण लिए हुए हैं. वहीं, उनके प्रधानमंत्री रहते हुए दिन-ब-दिन मजबूत होने वाला भारत-बांग्लादेश संबंध अब जैसे-तैसे खुद को जिलाए रखने की कोशिश में लगा हुआ है.

4. जॉर्डन, किंग अब्दुल्ला, वेस्ट बैंक यात्रा

2018 – फरवरी का महीना. मोदी वेस्ट बैंक (जहां एक बड़ी फिलिस्तीनी आबादी रहती है) की यात्रा पर गए. किसी भारतीय प्रधानमंत्री की फिलिस्तीनी जमीन पर ये पहली यात्रा थी. लिहाजा, न सिर्फ इसे ऐतिहासिक कहा गया बल्कि इसकी मुस्लिम जगत में भी खूब सराहना हुई. बाद में जानकारी आई कि प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा को सफल बनाने में जॉर्डन ने परदे के पीछे से काफी अहम भूमिका निभाई थी. जॉर्डन – भारत हमेशा ही से जॉर्डन को संघर्ष और तनाव वाले पश्चिम एशिया में स्थिरता और सद्भाव के जरूरी एक जरिया के तौर पर देखता है. तब मोदी जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला द्वितीय बिन अल-हुसैन के यहां से होकर ही वेस्ट बैंक पहुंचे थे. अब्दुल्ला को पैगंबर मोहम्मद के 41वें वारिस के तौर पर देखा जाता है. यरुशलम स्थित इस्लामिक दुनिया के सबसे पवित्र जगहों में से एक अल-अक्सा मस्जिद के संरक्षक भी अब्दुल्ला ही हैं. ऐसे में, वेस्ट बैंक की यात्रा पूरी कर मोदी जब भारत लौट आए, और उसी महीने के आखिर में जब जॉर्डन के राजा का भारत दौरा हुआ तो प्रधानमंत्री उनकी अगवानी के लिए हवाई अड्डे पर खड़े मिले.

5. इजराइल, बेंजामिन नेतन्याहू, यरुशलम

जनवरी 2018. इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, पत्नी सारा, उच्च स्तरीय बिजनेस के प्रतिनिधिमंडल के साथ 6 दिवसीय दिल्ली यात्रा पर आए तो नरेंद्र मोदी उनकी अगवानी के लिए प्रोटोकॉल से इतर हवाई अड्डे पहुंचे. 2017 में जब मोदी इजराइल के दौरे पर गए थे, तब नेतन्याहू ने भी एयरपोर्ट पहुंचकर उनका स्वागत किया था. नेतन्याहू की इस यात्रा की अपनी महत्ता थी. क्योंकि नेतन्याहू के भारत आने से महीने भर पहले अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजराइल की राजधानी के तौर पर यरुशलम को मान्यता दे दी थी जिसके खिलाफ संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव लाया गया. भारत ने उस प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया था. जो जाहिर तौर पर इजराइल के लिए चुभने वाला था. बावजूद इसके, दोनों देश काफी गर्मजोशी से इस यात्रा में मिल रहे थे. कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में हाव-भाव, इस स्तर के आदर-सत्कार की अपनी खास अहमियत होती है. 2003 में इजराइल के प्रधानमंत्री रहे एरियल शैरोन के बाद नेतन्याहू दूसरे ऐसे प्रधानमंत्री थे, जो भारत की यात्रा पर आए थे.

6. इमैनुअल मैक्रां, फ्रांस, ISA अधिवेशन

मार्च 2018. फ्रांस के नए नवेले राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रां अपनी पत्नी ब्रीगिट मैक्रां के साथ चार दिन के लिए अपने पहले दौरे पर भारत आए तो प्रधानमंत्री मोदी उनकी अगवानी के लिए हवाई अड्डे पर खड़े दिखे. मैंक्रां की यात्रा के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूती देने के अलावा अंतर्राष्ट्रीय सौर्य गठबंधन (आईएसए – इंटरनेशनल सोलर अलायंस) के पहले अधिवेशन को भी आयोजित किया गया. भारत ही की पहल पर आईएसए की शुरूआत मोदी और फ्रांस के 2015 में राष्ट्रपति रहे फ्रांसिस होलांद ने की थी. आईएसए की नींव उन देशों को एक मंच पर लाने के लिए की गई, जो सौर्य संसाधन से भरपूर हैं और वे भविष्य में अपनी ऊर्जा जरूरतों को इस के जरिये पूरा करना चाहते हैं. इसका मकसद कर्क और मकर रेखा के बीच आने वाले सभी 121 देशों को सौर्य ऊर्जा के क्षेत्र में परस्पर सहयोग, सामंजस्य स्थापित करने के लिए एक मंच देना था. तब मैक्रां और मोदी की मौजूदगी वाले कांफ्रेंस में 47 देश शामिल हुए थे.

7. MBS, सऊदी अरब, पुलवामा हमला

फरवरी 2019. जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमला हुआ. जिसमें कम से कम 40 सीआरपीएफ जवानों की जान चली गई. भारत ने इसके पीछे पाकिस्तान को कसूरवार बतलाया. नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच बढ़ती तल्खी के बीच सऊदी अरब के राजकुमार और मुखिया मोहम्मद बिन सलमान दो दिन के लिए पाकिस्तान और फिर वहां से बमुश्किल तीस घंटे के लिए भारत की यात्रा पर निकले. इधर, अपने पहले कार्यकाल के आखिरी दिनों में चुनावी प्रचार और राजनीतिक सरगर्मियों में व्यस्त नरेंद्र मोदी खाड़ी के इस ताकतवर शख्स के स्वागत के लिए इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पहुंचे. दोनों देशों में सुरक्षा, व्यापार, निवेश, संस्कृति, पर्यटन से लेकर राजनीतिक भागीदारी और साझेदारी बढ़ाने को लेकर कई करार हुए.