भारत मंडपम में शुक्रवार को आयोजित इंडो–रशिया बिजनेस फोरम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भाग लिया। इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार, स्वास्थ्य अनुसंधान, कौशल विकास और वैश्विक चुनौतियों से निपटने जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर गहन चर्चा की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि बदलते वैश्विक परिदृश्य में ऐसे समाधान विकसित किए जाने की आवश्यकता है, जो लंबे समय तक कारगर रह सकें। उन्होंने बताया कि भारत ‘रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म’ के मंत्र के साथ तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
मोदी ने यह भी कहा कि भारत और रूस स्वास्थ्य क्षेत्र में नई संभावनाओं की ओर बढ़ रहे हैं और दोनों देश मिलकर वैक्सीन तथा कैंसर की दवाओं के विकास पर काम करेंगे। उन्होंने कहा कि भारत आज वैश्विक स्तर पर ‘स्किल कैपिटल’ के रूप में अपनी पहचान मजबूत कर रहा है और रूसी भाषा में प्रशिक्षित भारतीय युवा दोनों देशों की साझा प्रगति में बड़ा योगदान दे सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने पर्यटक वीज़ा से जुड़े महत्वपूर्ण निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे भारत और रूस के नागरिकों को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। उन्होंने इंडो–रूस साझेदारी को ‘को–इनोवेशन, को–प्रोडक्शन और को–क्रिएशन’ पर आधारित बताया।
मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन के नेतृत्व में इतने बड़े रूसी व्यापारिक शिष्टमंडल की भारत यात्रा इस बात का संकेत है कि दोनों देशों के संबंध आपसी विश्वास पर खड़े हैं, और यही भरोसा साझेदारी की सबसे बड़ी शक्ति है। उन्होंने बताया कि भारत और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) पर बातचीत शुरू हो चुकी है।
राष्ट्रपति पुतिन ने भी संबोधन में भारत को दीर्घकालिक और विश्वसनीय व्यापारिक साझेदार बताया। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में भारत–रूस व्यापार में 80 प्रतिशत की ऐतिहासिक वृद्धि हुई है और पिछले वर्ष द्विपक्षीय व्यापार 64 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच गया।
पुतिन ने भारत की आर्थिक प्रगति की सराहना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत स्वतंत्र नीति पर चलते हुए आर्थिक क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर रहा है। उन्होंने कहा कि दोनों बड़े बाजारों के बीच व्यापार के नए अवसर लगातार बढ़ रहे हैं और भारत की तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर नए संकेत स्थापित कर रही है।