अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत से आयातित वस्तुओं पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाए जाने के फैसले से दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव गहरा गया है। यह शुल्क भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने के चलते लगाया गया है। नए फैसले के बाद भारतीय उत्पादों पर अमेरिका में कुल 50% टैक्स प्रभावी हो गया है, जिससे भारत के निर्यात क्षेत्र पर भारी असर पड़ने की आशंका है।
इस मसले को लेकर देश में राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तेज हो गई हैं। कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे केंद्र सरकार की कूटनीतिक असफलता करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि विदेश नीति के मोर्चे पर केंद्र सरकार पूरी तरह विफल रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस संकट से निपटने में असहाय नजर आ रहे हैं।
‘मोदी सरकार की नीतियां भ्रमित और कमजोर’
खरगे ने कहा कि यह फैसला उस समय आया है जब भारत की विदेश नीति स्पष्ट दिशा से भटक चुकी है। उन्होंने प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अमेरिकी व्यापार समझौते पर महीनों से बातचीत चल रही थी, लेकिन ठोस नतीजा सामने नहीं आया। यहां तक कि कुछ मंत्री वॉशिंगटन में लगातार संवाद की कोशिशों में जुटे रहे, फिर भी कोई समझौता नहीं हो सका और अब यह बड़ा झटका सामने आया है। इसके बावजूद प्रधानमंत्री की चुप्पी हैरान करने वाली है।
सोशल मीडिया पर भी जताई नाराजगी
एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर खरगे ने प्रधानमंत्री से सवाल किया कि अमेरिका के साथ व्यापार वार्ता लंबे समय से रुकी हुई है, फिर भी सरकार की ओर से कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया गया। उन्होंने याद दिलाया कि जब ट्रंप ने 2024 में BRICS संगठन को “मृत” करार दिया और भारत पर 100% टैरिफ की धमकी दी थी, तब भी सरकार की प्रतिक्रिया नदारद थी।
भारतीय उद्योगों पर भारी आर्थिक दबाव
कांग्रेस अध्यक्ष ने ट्रंप के इस फैसले से भारत पर पड़ने वाले संभावित आर्थिक प्रभाव को लेकर भी चिंता जताई। उन्होंने बताया कि वर्ष 2024 में अमेरिका को भारत का निर्यात करीब ₹7.51 लाख करोड़ का रहा। अब 50% शुल्क लागू होने से देश को लगभग ₹3.75 लाख करोड़ का अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ सकता है। खरगे के अनुसार, इससे कृषि, एमएसएमई, डेयरी, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स, रत्न व आभूषण, फार्मा, पेट्रोलियम और कपड़ा उद्योग को खासा नुकसान होने की आशंका है।