नई दिल्ली: नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट से गांधी परिवार को मंगलवार को अहम राहत मिली। अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के आरोपपत्र पर इस चरण में संज्ञान लेने से इनकार कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राहुल गांधी, सोनिया गांधी और अन्य आरोपियों को प्राथमिकी की प्रति उपलब्ध कराने का अधिकार नहीं बनता।
अदालत के फैसले के बाद कांग्रेस ने इसे अपनी जीत करार दिया। पार्टी ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर कहा कि अदालत के आदेश से केंद्र सरकार की मंशा और कथित गैरकानूनी कार्रवाई उजागर हो गई है। कांग्रेस ने दावा किया कि कोर्ट ने यंग इंडियन मामले में ईडी की कार्रवाई को क्षेत्राधिकार से बाहर और दुर्भावनापूर्ण माना है। पार्टी का कहना है कि जब किसी मामले में प्राथमिकी ही दर्ज नहीं है, तो जांच एजेंसी की कार्रवाई स्वतः सवालों के घेरे में आती है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पिछले एक दशक से मुख्य विपक्षी दल के नेतृत्व के खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध की भावना से कार्रवाई की जा रही थी, जिसे अदालत के फैसले ने खारिज कर दिया। पार्टी ने कहा कि धनशोधन, अपराध से अर्जित आय या संपत्ति हस्तांतरण से जुड़े आरोप निराधार साबित हुए हैं। कांग्रेस ने दोहराया कि वह सत्य और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष जारी रखेगी।
कांग्रेस नेताओं की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता सुखदेव भगत ने अदालत के आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि सत्य को परेशान किया जा सकता है, लेकिन पराजित नहीं। उन्होंने इसे न्याय की जीत बताते हुए कहा कि यह फैसला लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास को मजबूत करता है।
ईडी की जांच जारी रहेगी
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि नेशनल हेराल्ड धनशोधन मामले में ईडी आगे की जांच जारी रख सकती है। हालांकि, अदालत ने यह भी कहा कि चूंकि यह मामला किसी प्राथमिकी पर आधारित नहीं है, बल्कि सुब्रमण्यम स्वामी की निजी शिकायत और मजिस्ट्रेट के समन आदेशों पर टिका है, इसलिए फिलहाल किसी तरह की कानूनी कार्रवाई संभव नहीं है।