सुप्रीम कोर्ट ने सिंगूर में टाटा नैनो प्लांट के लिए की गई जमीन अधिग्रहण विवाद में कलकत्ता उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि 2016 में हाईकोर्ट द्वारा अधिग्रहण रद्द करने का फैसला किसानों के लिए एक विशेष राहत था, न कि उन व्यावसायिक संस्थाओं के लिए जिन्होंने दशक भर पहले ही अधिग्रहण को स्वीकार कर लिया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने राज्य की अपील स्वीकार करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय ने संति सेरामिक्स जैसी निजी कंपनियों को भूमि वापसी देने में गलती की। 2006 में पश्चिम बंगाल सरकार ने टाटा मोटर्स की नैनो परियोजना के लिए सिंगूर में 1000 एकड़ से अधिक जमीन अधिग्रहित की थी, जिसमें प्रतिवादी कंपनी की 28 बीघा जमीन भी शामिल थी।
सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 1894 की धारा 5-ए के तहत कंपनी की आपत्तियों को खारिज किया। अदालत ने कहा कि कंपनी ने 14.55 करोड़ रुपये का मुआवजा स्वीकार कर लिया था और अधिग्रहण को चुनौती नहीं दी थी।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि औद्योगिक संस्थाओं को ऐसे मुकदमों के आधार पर लाभ का दावा करने की अनुमति देना अनुचित होगा। इससे रणनीतिक निष्क्रियता को बढ़ावा मिलेगा और पक्ष लंबी मुकदमेबाजी के दौरान निष्क्रिय रहकर दूसरों के फैसले का फायदा उठाने की कोशिश करेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि 2016 में टाटा नैनो भूमि अधिग्रहण को रद्द करना केवल उन किसानों के लिए लक्षित राहत थी, जिनकी आपत्तियों को खारिज किया गया था। यह कदम उन व्यावसायिक संस्थाओं के लिए नहीं था, जिन्होंने लंबे समय से अधिग्रहण को स्वीकार किया था।