विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision—SIR) प्रक्रिया को गति देने के प्रयासों के बीच बूथ लेवल अधिकारियों (BLO) पर काम का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल के दिनों में अत्यधिक भार के कारण कुछ अधिकारियों द्वारा आत्महत्या जैसा कदम उठाने की चिंताजनक घटनाएँ सामने आईं, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए राज्यों को आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिए हैं।
गुरुवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों को साफ तौर पर कहा कि SIR प्रक्रिया के दौरान BLOs पर बढ़ रहे कार्यभार को कम करने के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की तैनाती की जाए, कार्य घंटे घटाए जाएँ और मानवीय आधार पर मिलने वाले छूट संबंधी आवेदन पर गंभीरतापूर्वक विचार किया जाए। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि कोई भी BLO अपनी समस्या को लेकर सीधे अदालत का दरवाज़ा खटखटा सकता है।
यह निर्देश दिए गए
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BLOs पर बढ़ते तनाव और आत्महत्या के मामलों को देखते हुए SIR कार्यों के लिए अतिरिक्त स्टाफ की नियुक्ति सुनिश्चित की जाए।
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व्यक्तिगत कारणों, स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं या किसी अन्य कठिनाई के आधार पर मिलने वाली छूट के आवेदन पर केस-दर-केस विचार किया जाए और जरूरत पड़ने पर तुरंत वैकल्पिक कर्मचारी तैनात किए जाएँ।
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BLO पर दर्ज एफआईआर या अन्य दबाव की शिकायतों पर भी राज्यों को संवेदनशील रुख अपनाने की सलाह दी गई।
मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा कि चुनाव आयोग के अधीन SIR जैसे वैधानिक कार्यों के लिए राज्य सरकारों या राज्य चुनाव आयोग द्वारा प्रतिनियुक्त कर्मचारियों का इन दायित्वों को निभाना आवश्यक है। हालांकि, यदि किसी BLO के सामने वास्तविक कठिनाइयाँ हों, तो अतिरिक्त संसाधन उपलब्ध कराकर उन्हें राहत दी जा सकती है।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि SIR प्रक्रिया को सुचारू रखने के साथ-साथ अधिकारियों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य की सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है।