नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को ‘कर्तव्य भवन’ का उद्घाटन करते हुए इसे देश के विकास का नया केंद्र बताया। इस अवसर पर आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि यह भवन सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए महत्वपूर्ण फैसलों की तपोभूमि बनेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृतकाल में कर्तव्य भवन जैसे संस्थान ही भविष्य की नीतियों और निर्णयों के केंद्र होंगे। उन्होंने कहा कि यहां से आने वाले वर्षों में राष्ट्र की दिशा और दशा तय की जाएगी।
कर्तव्य भवन: सपनों को साकार करने का मंच
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ‘कर्तव्य भवन’ नाम सिर्फ एक औपचारिक पहचान नहीं है, बल्कि यह देशवासियों की आकांक्षाओं और संकल्पों का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि कर्तव्य पथ, नया संसद भवन, रक्षा भवन, भारत मंडपम, यशोभूमि और नेताजी सुभाष की प्रतिमा जैसे निर्माण भारत के आधुनिक स्वरूप की बुनियाद हैं।
उन्होंने ‘कर्तव्य’ शब्द को भारतीय संस्कृति में एक गहरा भाव बताते हुए कहा कि यह केवल जिम्मेदारी नहीं बल्कि सेवा, त्याग और राष्ट्र भक्ति का भाव है। उन्होंने कहा, “कर्तव्य ही प्रारंभ भी है और पराकाष्ठा भी। यह नागरिक देवो भव: की भावना का जीवंत उदाहरण है।”
100 साल पुरानी इमारतों से बाहर निकली प्रशासनिक मशीनरी
प्रधानमंत्री ने कहा कि आज़ादी के बाद भी दशकों तक देश की प्रशासनिक व्यवस्था उन्हीं इमारतों से चलती रही जो ब्रिटिश शासन के दौरान बनी थीं। गृह मंत्रालय जैसी अहम संस्थाएं भी एक सदी पुरानी जर्जर इमारतों में काम कर रही थीं। उन्होंने कहा कि इन भवनों में न तो पर्याप्त रोशनी थी, न जगह, और न ही वेंटिलेशन जैसी बुनियादी सुविधाएं।
सरकार को मिलेगा किराए में 1500 करोड़ रुपये का लाभ
पीएम मोदी ने बताया कि मंत्रालयों के अलग-अलग जगह होने से रोजाना हज़ारों कर्मचारियों को एक दफ्तर से दूसरे में जाना पड़ता था, जिससे समय, ऊर्जा और संसाधनों की बड़ी बर्बादी होती थी। कर्तव्य भवन जैसे केंद्रीकृत परिसरों से न सिर्फ कार्य कुशलता बढ़ेगी, बल्कि सरकार को करीब 1500 करोड़ रुपये का किराया भी बचेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि आने वाले समय में ऐसे कई और कर्तव्य भवन बनाए जाएंगे, जिससे प्रशासनिक कामकाज और भी अधिक प्रभावी, पारदर्शी और तेज़ हो सकेगा।