गुवाहाटी/नई दिल्ली। उग्रवादी संगठन उल्फा (आई) ने दावा किया है कि म्यांमार के सागिंग क्षेत्र में भारतीय सेना द्वारा ड्रोन हमले किए गए, जिनमें संगठन का एक वरिष्ठ नेता मारा गया और करीब 19 सदस्य घायल हुए हैं। हालांकि भारतीय सेना ने इस प्रकार के किसी भी ऑपरेशन की जानकारी होने से इनकार किया है।
उल्फा-आई ने बयान जारी कर बताया कि उनके कई मोबाइल कैंपों को तड़के ड्रोन के जरिए निशाना बनाया गया। संगठन का कहना है कि इस हमले में एक प्रमुख नेता की मृत्यु हुई है, जबकि दर्जनों कार्यकर्ता घायल हैं। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रक्षा प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल महेंद्र रावत ने कहा कि सेना को इस तरह की किसी कार्रवाई की जानकारी नहीं है।
सूत्रों के अनुसार, ड्रोन हमले का असर सिर्फ उल्फा-आई तक सीमित नहीं रहा, बल्कि एनएससीएन-के के शिविरों को भी निशाना बनाया गया। इन हमलों में इस संगठन के भी कई सदस्य घायल हुए हैं। हालांकि, अभी तक सेना की ओर से इस पूरे मामले में कोई औपचारिक पुष्टि नहीं की गई है।
1979 में अस्तित्व में आया उल्फा (आई)
यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम यानी उल्फा (आई) का गठन वर्ष 1979 में हुआ था। संगठन की स्थापना परेश बरुआ और उनके सहयोगियों ने की थी, जिनका उद्देश्य असम को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाना था। केंद्र सरकार ने 1990 में इस संगठन पर प्रतिबंध लगाया और इसके खिलाफ सख्त अभियान चलाया गया।
2008 में उल्फा नेता अरबिंद राजखोवा को बांग्लादेश से गिरफ्तार कर भारत लाया गया था। संगठन की हिंसक गतिविधियों के कारण असम में व्यापारिक माहौल, खासकर चाय उद्योग, काफी प्रभावित हुआ था। उस समय कई व्यापारियों को सुरक्षा कारणों से क्षेत्र छोड़ना पड़ा था।