ढाका/नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और अवामी लीग की अध्यक्ष शेख हसीना ने देश की मौजूदा राजनीतिक स्थिति, अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) के फैसले और भारत-बांग्लादेश संबंधों को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। एक समाचार एजेंसी को ई-मेल के माध्यम से दिए विस्तृत इंटरव्यू में उन्होंने अंतरिम सरकार पर सत्ता के दुरुपयोग और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने के आरोप लगाए।

‘न्याय नहीं, सियासी प्रतिशोध है आईसीटी की प्रक्रिया’

आईसीटी के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए शेख हसीना ने कहा कि उनके खिलाफ चल रही कानूनी कार्रवाई न्याय की बजाय राजनीतिक दुश्मनी से प्रेरित है। उन्होंने आरोप लगाया कि न तो उन्हें अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिला और न ही पसंद के वकील चुनने की स्वतंत्रता दी गई। उनके मुताबिक, इस ट्रिब्यूनल का इस्तेमाल अवामी लीग को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है।
हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अब भी देश की संवैधानिक व्यवस्था पर भरोसा है और जब वैध सरकार तथा स्वतंत्र न्यायपालिका बहाल होगी, तब सच्चाई सामने आएगी।

उस्मान हादी की हत्या पर चिंता

शेख हसीना ने हाल ही में उस्मान हादी की हत्या को कानून-व्यवस्था की गिरती हालत का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि हिंसा और अराजकता मौजूदा अंतरिम शासन के दौरान और गहरी हुई है। उनका आरोप है कि सरकार या तो हालात को स्वीकारने से इनकार कर रही है या हालात संभालने में पूरी तरह विफल साबित हो रही है।
उन्होंने चेताया कि ऐसी घटनाएं न सिर्फ देश को अंदर से कमजोर कर रही हैं, बल्कि पड़ोसी देशों के साथ संबंधों पर भी नकारात्मक असर डाल रही हैं।

गौरतलब है कि 12 दिसंबर को ढाका के बिजोयनगर इलाके में चुनाव प्रचार के दौरान नकाबपोश हमलावरों ने उस्मान हादी को गोली मार दी थी। गंभीर रूप से घायल हादी की 18 दिसंबर को सिंगापुर में इलाज के दौरान मौत हो गई, जिसके बाद देश में तनाव और उग्रवाद की घटनाएं बढ़ीं।

‘अवामी लीग के बिना चुनाव लोकतंत्र का मजाक’

आगामी चुनावों को लेकर शेख हसीना ने साफ कहा कि यदि अवामी लीग को बाहर रखकर चुनाव कराए जाते हैं, तो वह लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं कही जा सकती। उन्होंने कहा कि जिस पार्टी को जनता ने बार-बार जनादेश दिया हो, उस पर प्रतिबंध लगाना लाखों मतदाताओं को उनके अधिकार से वंचित करने जैसा होगा।
उनका कहना था कि ऐसे चुनाव से बनी किसी भी सरकार को नैतिक वैधता हासिल नहीं होगी और यह राष्ट्रीय सुलह का मौका गंवाने जैसा होगा।

प्रत्यर्पण मांगों पर सवाल

प्रत्यर्पण को लेकर उठ रही मांगों पर प्रतिक्रिया देते हुए शेख हसीना ने कहा कि यह अंतरिम सरकार की हताशा को दर्शाता है। उन्होंने दोहराया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी आईसीटी की प्रक्रिया को राजनीतिक बताया जा रहा है।
उन्होंने भारत सरकार और वहां के राजनीतिक दलों द्वारा दिखाए गए सहयोग और समर्थन के लिए आभार जताया।

देश छोड़ने पर दी सफाई

बांग्लादेश छोड़ने के फैसले पर शेख हसीना ने कहा कि उन्होंने यह कदम खून-खराबा रोकने के लिए उठाया, न कि न्याय से बचने के लिए। उन्होंने कहा कि मौजूदा हालात में उनकी वापसी जानलेवा हो सकती थी।
उनका कहना था कि यदि देश में स्वतंत्र न्यायपालिका और वैध सरकार बहाल होती है, तो वे लौटने से पीछे नहीं हटेंगी।

भारत-बांग्लादेश रिश्तों में तनाव के लिए यूनुस जिम्मेदार

भारत-बांग्लादेश संबंधों में बढ़े तनाव पर शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा शासन भारत विरोधी बयानबाजी को बढ़ावा दे रहा है और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा में नाकाम रहा है।
उन्होंने कहा कि भारत दशकों से बांग्लादेश का भरोसेमंद साझेदार रहा है और यह रिश्ता किसी अस्थायी सरकार से कहीं ज्यादा मजबूत है।

कट्टरपंथ को लेकर चेतावनी

शेख हसीना ने दावा किया कि मौजूदा शासन के दौरान कट्टरपंथी ताकतों को संरक्षण मिला है और इससे बांग्लादेश की धर्मनिरपेक्ष पहचान खतरे में पड़ गई है। उन्होंने इसे पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता के लिए गंभीर चुनौती बताया।

‘चिकन नेक’ बयान पर नाराजगी

भारत के पूर्वोत्तर और ‘चिकन नेक’ को लेकर दिए गए बयानों पर उन्होंने कहा कि ऐसी भाषा गैर-जिम्मेदाराना है और पड़ोसी देशों के बीच अविश्वास बढ़ाती है। उनके अनुसार, बांग्लादेश की समृद्धि और सुरक्षा भारत के साथ सहयोग पर निर्भर करती है।

पाकिस्तान से रिश्तों पर भी उठाए सवाल

पाकिस्तान के साथ बढ़ती नजदीकियों पर शेख हसीना ने कहा कि अंतरिम सरकार को विदेश नीति में बड़े बदलाव करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने जोर दिया कि जब लोकतांत्रिक सरकार लौटेगी, तब बांग्लादेश की विदेश नीति राष्ट्रीय हितों के अनुरूप तय होगी।