नई दिल्ली। सर्दियों की छुट्टियां शुरू होते ही लोगों के दिमाग में ट्रिप की योजनाएं बनने लगती हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर दिखने वाली खूबसूरत तस्वीरें अक्सर असलियत में पर्यटकों की भीड़ के बीच फीकी पड़ जाती हैं। हालांकि ऐसे कई स्थान हैं, जहां प्राकृतिक सौंदर्य, रोमांच और सुकून तीनों एक साथ मिलते हैं और भीड़ भी बेहद कम दिखती है।
जोगिनी वाटरफॉल: जहां इंद्रधनुष बस हाथ भर दूर लगता है
मनाली के पास जुगनी या जोगिनी वाटरफॉल ऐसा ही एक स्थल है। यहां परिवार के साथ आराम से ट्रेक करते हुए पहुंचा जा सकता है। झरने पर सूरज की रोशनी पड़ते ही ऐसा लगता है जैसे फुहारों में इंद्रधनुष उतर आया हो—उसे केवल देखा ही नहीं, महसूस भी किया जा सकता है।
मनाली के पास सलथर एक शांत जगह है, जहां पुरानी संस्कृति, ट्रेकिंग ट्रेल्स और लोक-जीवन का अनोखा मिश्रण देखने को मिलता है।
वहीं वशिष्ठ के गर्म जल-कुंड पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग बने हैं। यहां स्नान करने से त्वचा संबंधी दिक्कतों के दूर होने की मान्यता भी है।
यदि आप थोड़ा कठिन ट्रेक संभाल सकते हैं, तो भृगु लेक तक का रास्ता आपको 14,100 फीट की ऊंचाई पर ले जाता है। क्रिस्टल-सा साफ पानी और हिमालयी चोटियों का नज़ारा इसे यादगार बना देता है। चांदनी रात में यहां का प्रतिबिंब किसी चित्र जैसा लगता है।
सोलंग और गुलाबा: बर्फ में स्कीइंग का पूरा मज़ा
मनाली जाने वाले पर्यटक रिवर राफ्टिंग का रोमांच तो लेते ही हैं, लेकिन बर्फबारी के बाद स्कीइंग का अनुभव और भी खास हो जाता है। जनवरी से मार्च तक सोलंग घाटी में हर स्तर के स्की ट्रैक उपलब्ध होते हैं।
शुरुआती लोग गुलाबा में स्की सीख सकते हैं, जहां नज़ारे और ढलान दोनों अनुकूल हैं। इसके अलावा स्नोबोर्डिंग, स्नो ट्रेकिंग, पैराग्लाइडिंग और जोर्बिंग सर्दियों में यहां खूब लोकप्रिय होते हैं। चाहे चाहें तो स्कीइंग का छोटा कोर्स भी कर सकते हैं।
सोनमर्ग और बीड़-बिलिंग: आसमान से धरती देखने का अनुभव
कश्मीर की सोनमर्ग घाटी पैराग्लाइडिंग प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं। उड़ान भरते ही बेताब वैली और आसपास की पहाड़ियां नीचे फैली नजर आती हैं।
यदि सोनमर्ग दूर हो, तो हिमाचल का बीड़-बिलिंग विश्वभर में पैराग्लाइडिंग के लिए मशहूर विकल्प है। यहां पैराग्लाइडिंग वर्ल्ड कप भी आयोजित होता है। बिलिंग टेकऑफ पॉइंट है और बीड़ लैंडिंग साइट। यहां का सूर्यास्त पर्यटकों को मोह लेता है।
यहां 10 दिन का कोर्स पूरा कर आप खुद अपना ग्लाइडर उड़ाने के लायक बन सकते हैं।
तत्तापानी ट्रेक: गर्म पानी के झरनों के बीच राहत
सतलुज घाटी में तत्तापानी का ट्रेक अपने प्राकृतिक गर्म झरनों और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। यहां से शिमला और धर्मशाला की ओर लंबी ट्रेकिंग की जा सकती है।
स्थानीय ‘पाटरी क्लब’ में मिट्टी की कलाकृतियां बनाकर भी पर्यटक यादगार स्मृति अपने साथ ले जाते हैं।
बीड़ क्षेत्र में बंजी जंपिंग के विकल्प और बौद्ध मठों की शांति भी पर्यटकों को आकर्षित करती है।
जांस्कर का चादर ट्रेक: बर्फ से ढकी नदी पर चलने का रोमांच
लद्दाख की जांस्कर घाटी में किया जाने वाला चादर ट्रेक बेहद कठिन लेकिन उतना ही रोमांचक है। यहां पर्यटक जमी हुई जांस्कर नदी पर कई दिनों तक चलते हैं। तापमान -20 से -30 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है।
साल में केवल एक बार यह मौका मिलता है। रास्ते में आइस क्लाइंबिंग भी की जा सकती है।
पहाड़ों में जाने से पहले जरूरी तैयारी
यात्रा से दो से चार सप्ताह पहले चलना, सीढ़ियां चढ़ना और हल्की दौड़ शुरू करें।
रोज 3–4 लीटर पानी पिएं, आयरन युक्त भोजन लें।
ठंड से बचाव के लिए पतली कई परतें पहनें, एक मोटी जैकेट नहीं।
ट्रेकिंग जूते यात्रा से पहले 2–3 दिन पहनें ताकि छाले न पड़ें।
सनग्लासेस और सनस्क्रीन जरूर साथ रखें।
पहाड़ों का सम्मान करें
पहाड़ सिर्फ पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि प्रकृति की धरोहर हैं। यहां कचरा छोड़कर वापस न आएं। सफाई की कोई व्यवस्था आपके पीछे नहीं आएगी। पहाड़ों को गंदा करना आखिरकार नदियों और हमारे पीने के पानी को प्रदूषित करता है।
स्थानीय लोगों की परंपराओं का सम्मान करें और पर्यावरण को बचाए रखने में अपनी भूमिका निभाएं।