19 वर्षीय अंतरराष्ट्रीय मास्टर दिव्या देशमुख ने फिडे महिला विश्व शतरंज कप के सेमीफाइनल में शानदार प्रदर्शन करते हुए पूर्व विश्व चैंपियन झोंगयी टैन को हराकर फाइनल में प्रवेश कर लिया है। सेमीफाइनल के दूसरे मुकाबले में जीत के साथ उन्होंने मिनी मैच 1.5-0.5 से अपने नाम किया। इस उपलब्धि के साथ ही वह महिला कैंडिडेट्स टूर्नामेंट के लिए क्वालीफाई करने वाली भारत की पहली खिलाड़ी बन गई हैं। यह टूर्नामेंट अगले वर्ष आयोजित होगा, जो मौजूदा विश्व चैंपियन वेनजुन जू को टक्कर देने वाली खिलाड़ी को तय करेगा। खास बात यह है कि दिव्या पहली बार विश्व कप में खेल रही हैं।
इस टूर्नामेंट में दिव्या ने चीन की दूसरी वरीय झू और ग्रैंडमास्टर डी. हरिका को हराकर पहले ही अपने इरादे स्पष्ट कर दिए थे। टैन के खिलाफ 101 चालों में मिली जीत उनके तेजी से निखरते कौशल की मिसाल है। वहीं दूसरे सेमीफाइनल में कोनेरू हम्पी ने शीर्ष वरीयता प्राप्त टिंगजी लेई से मुकाबला ड्रॉ खेला, और अब वे टाई-ब्रेकर में आमने-सामने होंगी।
शुरुआत से ही दिखा शतरंज में दिव्या का जुनून
नागपुर में 9 दिसंबर 2005 को जन्मीं दिव्या ने महज पांच साल की उम्र से शतरंज खेलना शुरू कर दिया था। उनके माता-पिता डॉक्टर हैं—पिता डॉ. जितेंद्र देशमुख और माता डॉ. नम्रता देशमुख। उन्होंने सात साल की उम्र में राष्ट्रीय अंडर-7 चैंपियनशिप जीतकर अपनी प्रतिभा का परिचय दिया। इसके बाद उन्होंने डरबन (2014) में अंडर-10 और ब्राजील (2017) में अंडर-12 वर्ल्ड यूथ टाइटल अपने नाम किए।
2021 में उन्हें महिला ग्रैंडमास्टर का खिताब मिला, जिससे वह विदर्भ की पहली और भारत की 22वीं महिला ग्रैंडमास्टर बनीं। वर्ष 2023 में उन्होंने इंटरनेशनल मास्टर का तमगा भी हासिल किया।
विश्व जूनियर चैंपियन से लेकर ओलंपियाड स्वर्ण तक
दिव्या ने 2024 में विश्व जूनियर अंडर-20 चैंपियनशिप में 11 में से 10 अंक लेकर शीर्ष स्थान प्राप्त किया। इसके अलावा, वे एशियाई जूनियर चैंपियन भी रह चुकी हैं और भारत को चेस ओलंपियाड में तीन स्वर्ण दिलाने में अहम भूमिका निभा चुकी हैं।
दुनिया की नंबर-1 खिलाड़ी को दी मात
दिव्या इस वर्ष फिडे वर्ल्ड ब्लिट्ज टीम शतरंज चैंपियनशिप में चीन की शीर्ष खिलाड़ी होउ यिफान को हराकर सुर्खियों में आई थीं। यह मुकाबला लंदन में जून में खेला गया था। उनकी इस जीत की सराहना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की थी। दिव्या इस समय चेन्नई के शतरंज गुरुकुल में ग्रैंडमास्टर आरबी रमेश के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण ले रही हैं। उनकी तेज रणनीतिक समझ, संयम और रचनात्मकता उन्हें शतरंज जगत की चमकती सितारा बनाती है।