मणिपुर की 19 साल की खिलाड़ी लिंथोई चानाबम ने पेरू के लीमा में चल रही जूडो जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीतकर भारतीय खेल इतिहास में नया अध्याय जोड़ दिया है। यह भारत के लिए जूडो जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में पहला मेडल है। फाइनल में लिंथोई ने नेदरलैंड्स की जोनी गिलेन को हराकर पदक अपने नाम किया।
ग्रुप डी के मुकाबले में जापान की सो मोरिचिका से हार के बावजूद लिंथोई को रेपेचेज राउंड में मेडल की राह मिली। इस राउंड में उन्होंने पहले स्लोवाकिया की इलारिया को हराया और ब्रॉन्ज मेडल के लिए जोनी गिलेन को मात दी।
लिंथोई की कहानी बेहद प्रेरणादायक है। उनके पिता किसान और मछली विक्रेता हैं, और बचपन से ही लिंथोई ने परिवार की मदद के लिए मछली बेचने में हाथ बंटाया। 8 साल की उम्र में जूडो प्रशिक्षण शुरू करने वाली लिंथोई ने फुटबॉल और बॉक्सिंग का भी अनुभव हासिल किया, लेकिन 13 साल की उम्र तक उनका पूरा ध्यान जूडो पर केंद्रित हो गया।
लिंथोई ने अपने करियर में लगातार रिकॉर्ड बनाए हैं। 2021 में महज 15-16 वर्ष की उम्र में भारत को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया, इसके बाद एशियन जूनियर और कैडेट चैंपियनशिप में भी मेडल जीतें। 2022 में वर्ल्ड जूडो कैडेट्स चैंपियनशिप में गोल्ड जीतकर पहली भारतीय खिलाड़ी बनीं। एशियन कैडेट चैंपियनशिप में भी गोल्ड मेडल अपने नाम किया और 2023 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित हुईं।
साल 2023-24 में बड़ी चोट के कारण लिंथोई लंबे समय तक खेल से दूर रहीं, लेकिन अब उन्होंने शानदार वापसी करते हुए जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत को ऐतिहासिक मेडल दिलाया है।