भारत की उभरती हुई बैडमिंटन स्टार तन्वी शर्मा ने वर्ल्ड जूनियर बैडमिंटन चैंपियनशिप में इतिहास रच दिया है। मात्र 16 साल की उम्र में उन्होंने शानदार प्रदर्शन करते हुए 17 साल बाद भारत के लिए पदक हासिल किया। हालांकि फाइनल मुकाबले में उन्हें हार का सामना करना पड़ा, लेकिन उनके दमदार खेल ने देश का नाम रोशन किया।
कोलंबिया में आयोजित इस चैंपियनशिप के फाइनल में तन्वी शर्मा का सामना थाईलैंड की दूसरी वरीयता प्राप्त अन्यापत फिचितप्रीचासक से हुआ। तन्वी ने पूरे टूर्नामेंट में बेहतरीन लय बरकरार रखी, लेकिन निर्णायक मुकाबले में वह 7-15, 12-15 से पराजित हो गईं और उन्हें सिल्वर मेडल से संतोष करना पड़ा।
इस उपलब्धि के साथ तन्वी भारत की ओर से इस प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंचने वाली तीसरी भारतीय खिलाड़ी बन गई हैं। उनसे पहले साइना नेहवाल ने 2006 में सिल्वर और 2008 में गोल्ड मेडल जीता था, जबकि अपर्णा पोपट ने 1996 में सिल्वर हासिल किया था।
तन्वी के इस प्रदर्शन ने भारतीय बैडमिंटन में नई उम्मीदें जगा दी हैं। खेल विशेषज्ञों का मानना है कि तन्वी आने वाले समय में सीनियर स्तर पर भी भारत की प्रमुख दावेदार बन सकती हैं।
फाइनल में तन्वी का खराब खेल
फाइनल मुकाबले की शुरुआत में दोनों खिलाड़ी 2-2 और फिर 4-4 से बराबरी पर रहीं. इसके बाद थाईलैंड की खिलाड़ी ने शानदार खेल दिखाते हुए 10-5 की बढ़त बना ली. थाई खिलाड़ी ने तन्वी शर्मा के बैकहैंड शॉट को नेट में डालकर पहला गेम पक्का कर लिया. दूसरे गेम में तन्वी ने सटीक डीप रिटर्न के ज़रिए 6-1 की बढ़त के साथ शानदार शुरुआत की. हालांकि, नेट की गलतियों के कारण थाई खिलाड़ी ने अंतर को 5-7 तक कम कर दिया. मध्यांतर तक 8-5 की बढ़त बनाए रखने के बावजूद तन्वी पर दबाव बढ़ता जा रहा था क्योंकि अन्यापत फिचितप्रीचासक ने स्कोर बराबर कर दिया और फिर 9-8 की बढ़त बना ली.
इसके बाद दूसरी वरीयता प्राप्त खिलाड़ी ने बेहतरीन पॉइंट्स बनाकर अपनी बढ़त को 11-8 तक पहुंचाया और तेज क्रॉस-कोर्ट विनर्स के साथ नियंत्रण बनाए रखा. 9-13 के स्कोर पर तन्वी ने एक कुशल नेट ड्रिबल के साथ लचीलापन दिखाया. एक लंबी रैली के बाद उन्होंने एक विवादित पॉइंट जीता, लेकिन एक और शॉट वाइड भेज दिया, जिससे उनकी प्रतिद्वंद्वी को तीन चैंपियनशिप पॉइंट मिल गए. फ़िचितप्रीचासक का एक शॉट वाइड रहा, लेकिन अगले पॉइंट पर एक शक्तिशाली स्मैश के साथ उन्होंने खिताब पक्का कर लिया।