बिहार सरकार के मंत्री रत्नेश सदा ने जिस बात का विरोध किया तो और शिक्षा विभाग के अपर विशेष सचिव केके पाठक को खरी-खोटी सुनाई थी, उसे वापस ले लिया गया है। अब शिक्षा विभाग द्वारा एक नया आदेश जारी किया गया है। इसमें टोला सेवकों को राहत दी गई। बता दें कि टोलासेवकों को अपने इलाके के 90 फीसदी बच्चों को स्कूल तक पहुंचाने की बात कही गई थी। इसमें असमर्थ होने पर 25 फीसदी सैलरी काटने की बात कही गई। इसके बाद बिहार सरकार के मंत्री रत्नेश सदा ने इस पर आपत्ति जताई थी और इससे मामले की शिकायत नीतीश कुमार से करने की बात कही थी।
बच्चों की हाजिरी 90 फीसदी से घटाकर अब 75 फीसदी कर दी गई
मामला तूल पकड़ने लगा तो शिक्षा विभाग ने बच्चों की हाजिरी 90 फीसदी से घटाकर अब 75 फीसदी कर दी गई है। दरअसल, शिक्षा विभाग ने अनुसूचित जाति के टोला सेवकों के मानेदय में 25 प्रतिशत की कटौती का फरमान जारी किया था। इसमें कहा गया था कि जिन शिक्षा सेवक के क्षेत्र में प्राइमरी स्कूलों में पांचवी तक के बच्चों की 90 प्रतिशत उपस्थिति नहीं करवा सकते तो, उनके वेतन में 25 प्रतिशत कटौती की जाएगी। इसके बाद इस आदेश का विरोध होता रहा। अब शिक्षा विभाग ने इसे घटाकर 75 फीसदी कर दिया।
मंत्री रत्नेश सदा ने कहा था- केके पाठक दलित विरोधी है
बिहार सरकार के मंत्री रत्नेश सदा ने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक पर जमकर निशाना साधा था। उन्होंने कहा कि केके पाठक दलित विरोधी है। उनका व्यवहार अशोभनीय है और वह मनमानी करते हैं। वह सामंती विचारधारा के लोग हैं और शिक्षा विभाग में आने के बाद अपने विचारधारा को लागू करना चाहते हैं। यही कारण है कि महादलित टोले के शिक्षक जो महादलित के बच्चे को पढ़ाते हैं उसको लेकर नया गाइडलाइन जारी कर उनके वेतन में कटौती के आदेश जारी कर दिया। यह काफी गलत है। उन्होंने कहा कि नब्बे प्रतिशत अगर बच्चे की उपस्थिति नही रहेगी तो महादलित टोले के शिक्षक का वेतन काटा जाएगा। यह फरमान कहीं से उचित नहीं है।