खैरागढ़ जिले के बकरकट्टा थाना क्षेत्र के कुम्ही गांव में रविवार सुबह माओवादियों के खिलाफ अभियान में बड़ी कामयाबी हासिल हुई। यहां सीपीआई (माओवादी) के 12 कैडरों ने कुल 10 हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया।

इसमें सबसे बड़ा नाम 45 लाख रुपये के इनामी, केंद्रीय समिति सदस्य और एमएमसी (मध्यप्रदेश–महाराष्ट्र–छत्तीसगढ़) जोन प्रभारी रामधेर मज्जी का है। हाल ही में उन्हें एमएमसी जोन की जिम्मेदारी दी गई थी।

आत्मसमर्पण करने वालों में आठ–आठ लाख रुपये के चार डिविजनल कमेटी सदस्य चंदू उसेंडी, ललिता, जानकी और प्रेम, पांच–पांच लाख रुपये के दो एरिया कमेटी सदस्य रामसिंह दादा और सुकेश पोट्टम तथा दो–दो लाख रुपये के लक्ष्मी, शीला, सागर, कविता और योगिता शामिल हैं।

इन सभी के साथ कुल 10 हथियार भी समर्पित किए गए, जिनमें एके-47, इंसास, एसएलआर, 303 और 30 कैलिबर कार्बाइन शामिल हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि एमएमसी जोन के प्रभारी रामधेर और प्रवक्ता अनंत का समर्पण संगठन के लिए नेतृत्व संकट है, जिसका असर आने वाले महीनों में दिखाई देगा। रामधेर बस्तर संभाग के बीजापुर जिले के राष्ट्रीय उद्यान क्षेत्र के गांव से थे। वे हिड़मा के बाद माओवादी संगठन के केंद्रीय समिति में शामिल होने वाले दूसरे आदिवासी सदस्य थे।

हिड़मा के मारे जाने के बाद रामधेर के समर्पण ने बस्तर में माओवादी नेटवर्क को काफी कमजोर कर दिया है। अब संगठन में अंतिम वरिष्ठ चेहरा बटालियन कमांडर बारसे देवा ही बचा है।