तेलहन उत्पादन बढ़ाने की दिशा में भारत सरकार द्वारा 'नेशनल मिशन ऑन एडिबल ऑयल-ऑयल पाम' योजना शुरू की गई है। इस योजना के तहत किसानों को ऑयल पाम (तेल ताड़) की खेती के लिए विविध वित्तीय सहायता दी जा रही है। साथ ही, राज्य सरकार भी अतिरिक्त प्रोत्साहन देकर किसानों को ऑयल पाम की ओर प्रेरित कर रही है।

योजना के तहत मिलने वाली मुख्य वित्तीय सहायता:

  • प्रति हेक्टेयर 143 पौधों के रोपण हेतु ₹29,000 का अनुदान
  • पहले चार वर्षों तक रखरखाव, खाद व उर्वरकों के लिए ₹5,250 प्रति हेक्टेयर, साथ ही राज्य सरकार द्वारा ₹2,625 अतिरिक्त
  • अंतरवर्ती फसल हेतु ₹22,375 प्रति हेक्टेयर तक का सहयोग
  • दो हेक्टेयर या उससे अधिक क्षेत्र में खेती पर:
    • बोरवेल के लिए ₹50,000
    • सिंचाई सुविधाओं हेतु ₹25,000 प्रति हेक्टेयर
    • पंपसेट पर ₹27,000
    • फेंसिंग के लिए ₹1,08,970 प्रति हेक्टेयर
    • ड्रिप सिस्टम पर ₹14,130 + ₹6,636 (राज्य की ओर से अतिरिक्त)

ऑयल पाम खेती के प्रमुख लाभ:

  • प्रति एकड़ 10-12 टन उत्पादन, जिससे अधिक आय की संभावना
  • कम श्रम लागत और रोगों का जोखिम भी कम
  • अनुबंधित कंपनियों द्वारा उत्पाद की सुनिश्चित खरीद, जिससे बिचौलियों की भूमिका समाप्त
  • सभी प्रकार की सिंचित भूमि पर उपयुक्त खेती

शुरुआती चार वर्षों में खेती पर प्रति हेक्टेयर ₹25,000 से ₹30,000 तक खर्च अनुमानित है, लेकिन चौथे वर्ष के बाद प्रतिवर्ष ₹70,000 से ₹2,70,000 प्रति हेक्टेयर तक की आमदनी संभव है। खाद्य तेल के अतिरिक्त यह फसल कॉस्मेटिक व औद्योगिक उपयोगों में भी लाभकारी सिद्ध होती है। सरकार की ओर से संग्रहण केंद्र भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

ऑयल पाम खेती किसानों के लिए लाभकारी और टिकाऊ आय का साधन बन सकती है। सरकारी योजनाओं और मार्गदर्शन की मदद से किसान अब पारंपरिक कृषि से आगे बढ़कर बेहतर आर्थिक भविष्य की ओर अग्रसर हो सकते हैं।